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भारत में आजाद सोच रखने का अधिकार खतरे में: मनमोहन सिंह

सिंह ने देश में बढ़ते उग्र राष्ट्रवाद को विनाशकारी चलन करार दिया. उनका कहना था कि देश में ऐसी ताकतें बढ़ रही हैं और सियासत में पॉपुलरिज्म ऐसी प्रवृतियों को बढ़ावा दे रहा है. पूर्व पीएम का मानना था कि इस तरह की ताकतें पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत को हवा दे रही हैं.

बढ़ते नव-राष्ट्रवाद पर पूर्व पीएम ने जताई चिंता बढ़ते नव-राष्ट्रवाद पर पूर्व पीएम ने जताई चिंता
इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 20 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 9:25 PM IST

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का कहना है कि फिलहाल देश में स्वतंत्र सोच की आजादी खतरे में है. वो कोलकाता की प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी के द्विशताब्दी समारोह में बोल रहे थे.

नव-राष्ट्रवाद पर चिंता
सिंह ने देश में बढ़ते उग्र राष्ट्रवाद को विनाशकारी चलन करार दिया. उनका कहना था कि देश में ऐसी ताकतें बढ़ रही हैं और सियासत में पॉपुलरिज्म ऐसी प्रवृतियों को बढ़ावा दे रहा है. पूर्व पीएम का मानना था कि इस तरह की ताकतें पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत को हवा दे रही हैं.

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'बोलने की आजादी है जरूरी'
मनमोहन सिंह का कहना था कि देश में बोलने की आजादी की हर कीमत पर रक्षा होनी चाहिए. उन्होंने अपने भाषण में हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी और जेएनयू के हालिया छात्र आंदोलनों का जिक्र किया. पूर्व प्रधानमंत्री का आरोप था कि छात्रों की अभिव्यक्ति में मौजूदा सरकार दखल दे रही है और ये बेहद चिंता की बात है.

नौजवानों को सलाह
मनमोहन सिंह ने युवाओं को सलाह दी कि वो रचनात्मक गतिविधियों में शामिल हों. मनमोहन सिंह ने कहा, 'सच्चा राष्ट्रवाद वो है जहां छात्रों को मुक्त रूप से सोचने और बोलने के लिए बढ़ावा दिया जाता है. जहां असहमति के स्वरों को दबाया नहीं जाता. सिर्फ रचनात्मक गतिविधियों से ही हम देश में मजबूत, एकजुट और सतत लोकतंत्र का निर्माण कर सकते हैं.'

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