
सवर्ण गरीब को आरक्षण मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने बिल का खुलकर विरोध किया. उन्होंने कहा कि इस बिल को लेकर सरकार की नीति और नीयत दोनों के खिलाफ उनकी पार्टी है, इस तरह के बिल से साफ होता है कि सरकार ओबीसी और दलित विरोधी है. हालांकि इससे पहले मंगलवार को भी लोकसभा में आरजेडी सांसद जय प्रकाश नारायण यादव ने सवर्ण आरक्षण का खुला विरोध किया था.
भाषण में लालू का जिक्र
बुधवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान मनोज झा ने कहा, 'मैं 124वें संविधान संशोधन के विषय पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. सदन को भी बताना चाहता हूं और सड़क पर भी मौजूद लोगों को बताना चाहता हूं कि इस बिल का हमारी पार्टी विरोध करती है. हम सामाजिक न्याय वाले दल हैं और हमारे नेता ने हमेशा इसके लिए लड़ाई लड़ी है. हमारे नेता जो आज कई प्रताड़नाओं से गुजर रहे हैं, इसके पैरोकार में वो सबसे आगे थे. बहुत सारी मंजिल बाकी थी, एक छोटी-सी मंजिल हासिल हुई थी. लेकिन लोग अब हमसे पूछते हैं कि आपकी पोजिशन क्या है? हमारी पोजिशन है कि आप संविधान के मूल अवधारणाओं के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं.'
इस आरक्षण के जरिये संविधान से छेड़छाड़
आरजेडी सांसद ने कहा, 'आर्टिकल 15 और आर्टिकल 16 जब बने थे, तो कई दिनों तक उस पर चर्चा हुई थी. आज हमने चंद घंटे में यह तय कर दिया कि इसकी आत्मा को मार दो, इसका कत्ल कर दो. ऐसा नहीं होता है. यह मध्य रात्रि की डकैती है और यह संविधान के मूल ढांचे के साथ छेड़छाड़ हो रही है. हम तो इनकी नीति और नीयत दोनों के खिलाफ हैं. हम सीधे तौर पर कहते हैं कि आरक्षण खत्म कर देंगे, लेकिन पहले जाति को तो खत्म करो.'
बचपन की कहानी का हवाला देते हुए आरजेडी सांसद ने कहा, 'बचपन में हम सबने कहानी पढ़ी है कि एक गरीब ब्राह्मण था, लेकिन कभी सुना है कि एक गरीब दलित था, एक गरीब कुम्हार था, एक गरीब कुर्मी था, एक गरीब यादव था. कभी नहीं सुना होगा. क्योंकि यह हकीकत है. कहानियां काल्पनिक चीजों पर ही बनती हैं. हकीकत पर कहानियां नहीं बनती हैं.'
गरीब की जाति होती है सरकार....
मनोज झा ने कहा कि कहा जाता है कि गरीबी की कोई जाति नहीं होती है. लेकिन सच्चाई ये है कि जातियों में गरीबी है. सर्वे कर लीजिए, 100 लोगों में ही सर्वे कर लीजिए, उसमें 90 लोग ओबीसी, एससी, एसटी के लोग गरीब होंगे. तब मुसलमान और दूसरी जातियां होंगी. आरक्षण के बारे में कई दफा बात हुई, आरक्षण कोई आमदनी बढ़ाओ योजना नहीं है. आज आरक्षण को मनरेगा की कैटेगरी में लाकर खड़ा कर दिया है, ऐसा नहीं होता है.
शांत पानी में कंकड़ मार रही है सरकार
मनोज झा ने आगे कहा, 'मंडल कमीशन जब आया तो दस्तावेज के साथ आया था. जातियों के आंकड़े आए. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसकी सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी. ओबीसी को मात्र 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. उन्होंने एक गाना सुनाया कि ठहरे हुए पानी में कंकड़ न मार, लेकिन यह सरकार ठहरे पानी में कंकड़ मारकर उठते तरंग को देखना चाहती है, जो गलत है. एक दिन वही तरंग इनके विनाश का कारण बनेगी.
जातिगत जनगणना के बारे में क्या विचार
आरजेडी सांसद ने कटाक्ष करते हुए कहा, 'मैं प्रधानमंत्री जी के सामने बोलना चाहता था. लेकिन वे आए नहीं. सरकार जातिगत जनगणना के आंकड़े पर कुंडली मारकर बैठी है? क्या आपको डर है कि ओबीसी की आबादी 65 से 68 प्रतिशत है? या एससी-एसटी की आबादी ज्यादा है? आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी की हमारी मांग फिर से शुरू हो जाएगी.' झा ने कहा कि इस बिल के जरिए जातिगत आरक्षण को खत्म करने का रास्ता तय हो रहा है. RJD के सांसद मनोज झा ने कहा कि देश में जाति व्यवस्था बहुत खतरनाक स्थिति में है, सरकार का यह 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला जातिगत आरक्षण के फैसले को खत्म करने की कोशिश है, इसलिए राजद बिल का विरोध करता है.
आखिर में मनोज झा ने राज्यसभा में एक झुनझुना लहराते हुए कहा कि ये बच्चों का खेलने वाला झुनझुना है जो आजकल सत्ता पक्ष के पास है और आमतौर पर ये बजता है. लेकन इस दौर में ये झुनझुना हिलता तो है, लेकिन बजता नहीं है. अपने शब्दों का विराम देने से पहले उन्होंने फिर दोहराया कि हमारी पार्टी खुलेआम इस बिल का विरोध करती है.