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गुलाब से इजहार-ए-मुहब्बत करना है तो नोटबंदी की क्या बिसात...

गुलाब की इतनी डिमांड है तो फूल बेचने वालों के चेहरे भी गुलाब जैसे ही खिले हुए हैं. हो भी क्यों ना, साल का यही वक्त तो सबसे ज्यादा कमाई का होता है. बात इजहार-ए-मुहब्बत की है तो नोटबंदी की क्या बिसात जो इसके रास्ते में दीवार बन सके. वेलेन्टाइन को गिफ्ट गुलाब देना हो या कुछ और, दाम की फिक्र कौन करता है. इस 'लव इकोनॉमिक्स' को और कोई जानता हो या ना जानता हो, कारोबारी बखूबी जानते हैं.

वैलेंटाइन डे से गुलाब उत्पादकों को फायदे की उम्मीद वैलेंटाइन डे से गुलाब उत्पादकों को फायदे की उम्मीद
मनोज्ञा लोइवाल
  • कोलकाता ,
  • 13 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 6:29 PM IST

'वैलेन्टाइन्स डे' मुहब्बत के इजहार का दिन है. जाहिर है हर कोई अपने वैलेन्टाइन को गुलाब का नजराना पेश कर खुश करना चाहता है. ऐसे में अब गुलाब खरीदने पर जेब कितनी ढीली होती है इसकी परवाह कौन करता है.

'लव इकोनॉमिक्स' में नोटबंदी का क्या काम?
गुलाब की इतनी डिमांड है तो फूल बेचने वालों के चेहरे भी गुलाब जैसे ही खिले हुए हैं. हो भी क्यों ना, साल का यही वक्त तो सबसे ज्यादा कमाई का होता है. बात इजहार-ए-मुहब्बत की है तो नोटबंदी की क्या बिसात जो इसके रास्ते में दीवार बन सके. वेलेन्टाइन को गिफ्ट गुलाब देना हो या कुछ और, दाम की फिक्र कौन करता है. इस 'लव इकोनॉमिक्स' को और कोई जानता हो या ना जानता हो, कारोबारी बखूबी जानते हैं.

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पश्चिम बंगाल का नादिया जिला गुलाब की खेती के लिए जाना जाता है. इस जिले में भी नादिया धंताला का क्षेत्र खास तौर पर प्रसिद्ध है. गुलाब की भारी मांग होने की खुशी यहां उत्पादकों के चेहरों पर देखी जा सकती है.

अबु मंडल नाम के किसान ने कहा, 'गुलाबों के दाम 80 रुपए तक बढ़ गए हैं. बीते दो साल में इस सीजन में गुलाब के दाम इतने ऊंचे नहीं पहुंचे. इस साल मुनाफा पिछले दो साल की तुलना में कहीं अधिक रहेगा.' एक और किसान अधीर मंडल के मुताबिक 80 रुपए दाम रखने पर भी गुलाब धड़ल्ले से बिक रहे हैं.

बीते साल तक उत्पादक गुलाब की बिक्री से सालाना दो लाख रुपए तक कमा लेते थे. लेकिन अब गुलाब की मांग इतनी बढ़ गई है कि कुछ चुनिंदा मौकों पर एक ही दिन में 40,000 रुपए तक की बिक्री हो जाती है. पिछले कुछ साल में गुलाब उत्पादकों का मुनाफा 40 से 45 फीसदी तक बढ़ा है.

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जहां तक नोटबंदी के असर का सवाल है तो गुलाब उत्पादक सौमित्रा बसु का कहना है कि नोटबंदी हो या उत्पादन की लागत में बढ़ोतरी, इससे गुलाबों की बिक्री पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. बड़ी संख्या में बुकिंग मिली है.

जज्बात या दिखावा?
एक तरफ गुलाब उत्पादकों की चांदी है तो दूसरी ओर कुछ लोग इतनी बड़ी कीमत में गुलाब खरीद कर मुहब्बत का इजहार करने को महज दिखावा मानते हैं.

बिपाशा मुखर्जी खान का कहना है कि अग्रिम बुकिंग के दौरान गुलाब के लिए 20-30 रुपए बताए जाते हैं. लेकिन डिलीवरी के वक्त तक गुलाब की कीमत बढ़कर 90 से 110 रुपए हो जाती है. फूलों और गिफ्ट्स के लिए मोटी कीमत देना दिखावे की होड़ को बढ़ावा देती है. कारोबारी संजय मोदक का कहना है, 'हमें वैलेन्टाइन्स डे अपनी भावनाओं के इजहार के लिए मनाना चाहिए. लेकिन जिस तरह ये मनाया जाता है उसके मैं खिलाफ हूं. लोग 80 रुपए का गुलाब खरीदते वक्त भी एक बार भी दोबारा नहीं सोचते. इस दिन में भौतिकतावादी मूल्यों को कम से कम बीच में आने देना चाहिए.'

एक प्राइवेट फर्म में काम करने वालीं बिपाशा चक्रवर्ती ने कहा, 'ये अनिवार्य नहीं होता कि वैलेन्टाइन्स डे पर गुलाब भेंट ही किए जाएं. अगर एक दूसरे के बारे में आप क्या सोचते हैं, इसे जुबान से भी कह दिया जाए तो भी उतना ही असर करता है. वर्षों पहले जब लोग गुलाब नहीं देते थे तो क्या प्यार का कम असर होता था या उसे सराहा नहीं जाता था. आजकल दिखावा ज्यादा है. गुलाब देना गलत नहीं है लेकिन बेहतर से बेहतर से देने की होड़ प्रेम की निश्चल भावना के खिलाफ है.'

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लेकिन जनाब, ये सब दिमाग की बातें हैं. मुहब्बत दिमाग की नहीं दिल की सुना करती है. मुहब्बत और जंग में सब जायज है तो गुलाबों की प्राइज-वॉर से भी दिल वालों को क्या परेशानी है?

हर गुलाब के अलग मायने
गुलाब के रंग और खुशबू के मायने भी अलग-अलग बताए जाते हैं. पीले गुलाब का मतलब है कि जोड़े का बंधन सीमेंट की तरह हमेशा अटूट रहेगा. वेलेन्टाइन डे पर लाल गुलाब की मांग सबसे ज्यादा होती है, इसके मायने ही मुहब्बत का इजहार करना है. इसी तरह सफेद और नीले गुलाब के भी अपने-अपने मायने बताए जाते हैं.

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