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ट्रंप के दौरे से पहले मोदी सरकार को RSS की सख्त हिदायत- US से ना मंगाएं 'नॉनवेज दूध'

RSS ने केंद्र सरकार को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि वह अमेरिका के साथ कोई भी ऐसा डेयरी समझौता ना करे जिसकी भारत में धार्मिक स्वीकार्यता ना हो. RSS की इस चेतावनी के बाद भारत के 10,000 अरब रुपये के डेयरी उद्योगों को नुकसान पहुंचने की आशंका है.  

ट्रंप से डेयरी समझौते पर विवाद ट्रंप से डेयरी समझौते पर विवाद
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:25 PM IST

  • अमेरिका से केवल शाकाहारी गायों के दूध का आयात
  • अमेरिका में, गायों को खून और मांस दिया जाता है

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो दिवसीय दौरे पर सोमवार को भारत पहुंच रहे हैं. भारत को उम्मीद है कि इस दौरे से दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते और बेहतर होंगे. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वो फिलहाल भारत के साथ कोई व्यापारिक समझौता नहीं करने वाले हैं.

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वहीं भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की आर्थिक इकाई ने केंद्र सरकार को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि वह अमेरिका के साथ कोई भी ऐसा डेयरी समझौता ना करे, जिसकी भारत में धार्मिक स्वीकार्यता ना हो. RSS की इस चेतावनी के बाद भारत के 10,000 अरब रुपये के डेयरी उद्योगों को नुकसान पहुंचने की आशंका है.   

स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) के सह समन्वयक अश्विनी महाजन ने इसमें धार्मिक दृष्टिकोण जोड़ते हुए कहा, "भारत में दूध शाकाहारी आहार है. अमेरिकी प्रशासन की यह मांग है कि भारत को इस शर्त को हटाना चाहिए कि अमेरिका से केवल शाकाहारी गायों के दूध का आयात किया जा सकता है. अमेरिका में, गायों को खून और मांस दिया जाता है और इस तरह की गायों के दूध का आयात करना प्रतिबंधित है."

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उन्होंने कहा, "अमेरिका को यह समझना चाहिए कि उसकी यह मांग न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि इसे धार्मिक वजहों से भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है."

यह कहते हुए कि भारत को अमेरिका की धमकी पर चिंतित नहीं होना चाहिए, महाजन ने आईएएनएस से कहा कि भारत अपने वृहत घरेलू डेयरी बाजार तक अमेरिका को पहुंचने इजाजत नहीं दे सकता है.

और पढ़ें- ट्रंप-मोदी के रोड शो में अमेरिकी एजेंसियों ने गुजरात के CM को भी शामिल होने से रोका

महाजन ने एक ब्लॉग में लिखा, "यह ध्यान रखना जरूरी है कि अमेरिका, भारत पर अपने कंपनियों के हितों की रक्षा करने का दबाव डाल रहा है. भारत के लिए भी अपनी पहली प्राथमिकता सार्वजनिक स्वास्थ्य, लघु उद्योगों में रोजगार की रक्षा होनी चाहिए."

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