
देशद्रोह के मुद्दे पर जहां एक ओर विपक्ष धर्मगुरुओं का साथ हासिल कर सरकार को घेरने की कोशिश में है, वहीं संघ ने भी खुलकर इस मुद्दे पर अपनी राय जाहिर कर दी है. संघ ने अपनी एनुअल रिपोर्ट में देश के विभिन्न यूनिवर्सिटी में देशविरोधी ताकतों के खिलाफ मजबूती से निपटने के लिए सरकार का आह्वान किया है. यानी इशारों-इशारों में संघ ने यह जता दिया है कि मामले में वह सरकार के साथ खड़ी है.
अपनी एनुअल रिपोर्ट में आरएसएएस ने सरकार से विश्वविद्यालयों में लंबे समय से ‘देश विरोधी गतिविधियों’ में शामिल ‘विध्वंसकारी’ ताकतों पर अंकुश लगाने को कहा है. इसके साथ ही सवाल उठाया गया है कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में लगे देश को तोड़ने वाले नारों को आखिर कैसे सहन किया जा सकता है.
आरएसएस ने कहा, हमें उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस तरह के देश विरोधी और असामाजिक ताकतों से कड़ाई से निपटेंगी और हमारे शैक्षणिक संस्थाओं की पवित्रता एवं सांस्कृतिक माहौल सुनिश्चित करते हुए उन्हें राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र नहीं बनने देंगी.'
पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद पर लगे रोक
नागौर में संघ के शीर्ष अधिकारियों के तीन दिवसीय विचार-विमर्श सत्र के दौरान वार्षिक रिपोर्ट पेश करने के साथ ही संघ ने पठानकोट में आतंकी हमले पर चिंता जताई
और सुरक्षा बलों की क्षमता, उनके साजो सामान और प्रभारी अधिकारी की समीक्षा की. इसके साथ ही उनके अवैध प्रवास और पाकिस्तान से प्रेरित आतंकवाद पर अंकुश
लगाने की बात कही गई. ‘अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा’ की इस बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और इसके शीर्ष नेता सहित भाजपा अध्यक्ष
अमित शाह भी मौजूद थे.
'यह देशभक्त लोगों के लिए स्वभाविक चिंता है'
एनुअल रिपोर्ट में कहा गया है, 'जब प्रसिद्ध और प्रमुख संस्थानों और विश्वविद्यालयों में लोग देश विरोधी और देश को तोड़ने की बात करने वाले नारे लगाते हैं, तो
स्वाभाविक रूप से यह सभी देशभक्त लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन जाता है. खासकर जब कुछ राजनीतिक दल और नेता ऐसी गतिविधियों और तत्वों का
समर्थन करते हैा तो मामला और अधिक गंभीर हो जाता है.'
'ऐसे लोगों का देश के संविधान-कानून में विश्वास नहीं'
आरएसएस नेताओं का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश विरोधी नारेबाजी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. यही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि
आखिर कैसे ऐसे लोग आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त लोगों को देश के कानून के अनुसार दंडित किए जाने बाद भी सम्मानित और शहीद का दर्जा दे रहे हैं? यह अपने
आप में एक राष्ट्रविरोधी गतिविधि है और जो भी इस तरह के कृत्यों में शामिल हैं, उन्हें भारत के संविधान, कानून, न्यायपालिका और संसद में विश्वास नहीं है.'
यूनिवर्सिटी न बने राजनीतिक गतिविधियों का अड्डा
आरएसएस ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से अपील की है कि ऐसे देश विरोधी और समाज विरोधी तत्वों के साथ कड़ाई से निपटा जाए. साथ ही विश्वविद्यालयों और
शिक्षण केंद्रों में पढ़ने के लिए सांस्कृतिक और पवित्रता का माहौल सुनिश्चित किया जाए. सरकार का आह्वान किया गया है कि वह विश्वविद्यालयों को राजनीतिक
गतिविधियों का अड्डा बनने से रोके.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रवादी विचारों के प्रति तेजी से बढ़ रही स्वीकृति राष्ट्र विरोधी और समाज विरोधी तत्वों को असहज महसूस कर रही है. हैदराबाद और जेएनयू में हाल के दिनों में जो कुछ हुआ, उसने इस ओर उनकी असहजता और इस बाबत साजिश का खुलासा किया है.