
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) का दिल्ली में तीन दिवसीय मंथन शिविर सोमवार को शुरू हो गया. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पहले दिन राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दों पर विचार रखने के साथ-साथ केंद्र की मोदी सरकार का नाम लिए बिना दो बड़े संदेश दिए हैं.
संघ का मुक्त पर नहीं युक्त पर जोर
बता दें कि 2014 में देश की सत्ता पर विराजमान होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'कांग्रेस मुक्त भारत' का नारा दिया था. जबकि सरसंघचालक ने साफ कहा कि संघ मुक्त पर नहीं बल्कि युक्त पर जोर देता है. भागवत ने कहा, 'हम लोग सर्व लोकयुक्त वाले लोग हैं, ‘मुक्त वाले नहीं. सबको जोड़ने का हमारा प्रयास रहता है, इसलिए सबको बुलाने का प्रयास करते हैं.'
भागवत ने कहा कि संघ की यह पद्धति है कि पूर्ण समाज को जोड़ना है और इसलिए संघ के लिए कोई पराया नहीं, जो आज विरोध करते हैं, वे भी नहीं. संघ केवल यह चिंता करता है कि उनके विरोध से कोई क्षति नहीं हो. उन्होंने कहा कि आरएसएस शोषण और स्वार्थ रहित समाज चाहता है. संघ ऐसा समाज चाहता है जिसमें सभी लोग समान हों. समाज में कोई भेदभाव न हो.
आजादी के बाद देश में बहुत काम हुए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेता लगातार ये बात कहते रहे हैं कि पिछले 60 सालों में देश में कोई काम नहीं हुआ है. बीजेपी के इस बात का संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में जवाब दिया. मोहन भागवत ने आजादी की लड़ाई में कांग्रेस की भूमिका की तारीफ की. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की बदौलत देश की स्वतंत्रता के लिए सारे देश में एक आंदोलन खड़ा हुआ और देश को आजादी मिली. आजादी के बाद भी कांग्रेस ने देश में काम किया है.
संघ प्रमुख का ये दोनों बातें कहना कहीं न कहीं मोदी सरकार के लिए संदेश माना जा रहा है. कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, संघ के कार्यकर्ता बिना किसी प्रचार के अपना काम करते हैं. हालांकि उन्हें अलग-अलग माध्यमों से पब्लिसिटी मिलती है, जिसकी कभी आलोचना भी होती है.