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सरसंघचालक मोहन भागवत आज संघ और हिंदुत्व के रिश्ते पर करेंगे चर्चा

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला सोमवार से शुरू हुई, जिसका शीर्षक भविष्य का भारत: आरएसएस का दृष्टिकोण रखा गया है. इस कार्यक्रम में कई गणमान्य लोग हिस्सा ले रहे हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत
विवेक पाठक/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:33 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) द्वारा दिल्ली में “भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण” नाम से तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम के दूसरे दिन मंगलवार को RSS प्रमुख मोहन भागवत संघ और हिंदुत्व के रिश्ते पर चर्चा करेंगे.

गौरतलब है कि कार्यक्रम के पहले दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है. डॉक्टर हेडगेवार के अनुसार संघ का काम संपूर्ण हिंदू समाज को हमें संगठित करना है. हिंदुत्व हम सबको जोड़ता है, हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है.  

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मोहन भागवत ने कांग्रेस की तारिफ करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस पार्टी का अहम योगदान रहा है. कांग्रेस में कई महापुरुष रहे हैं जिन्हें आज भी याद किया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस की विचारधारा का स्वतंत्रता दिलाने में अहम योगदान रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि मैं राजनातिक आरोप प्रत्यारोप में नहीं जाऊंगा, आजादी के बाद देश में बहुत काम हुएं हैं.  

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि संघ एक लोकतांत्रिक संगठन है. अगर संघ को देखना और समझना है तो संघ में आइए. मोहन भागवत ने आगे कहा कि आज़ादी के बाद फ्लैग कमेटी ने भगवे की सिफारिश की थी पर जब तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज के रूप आया तो तिरंगे का पूरा सम्मान किया. हर स्वयंसेवक तिरंगे का सम्मान करता है. संघ के स्वयंसेवक राष्ट्र के हर प्रतीक चिन्ह का सम्मान करते हैं.  

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संघ प्रमुख मोहन भागवत का मानना है कि संघ वर्चस्व नहीं चाहता हैं संघ समाज का वर्चस्व चाहता हैं. उन्होंने ये भी कहा कि संघ के बारे में अक्सर रिमोट कंट्रोल की बात आती है. स्वयंसेवक खुद चुनता है. स्वयंसेवकों का मिलना जुलना चलता रहता है समन्वय बैठक इसलिए नहीं होती कि कोई नीति तय करनी है. संस्कारों का संस्मरण हो इसके लिए होती है.

अंत में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा की जो लोग हमारा विरोध करते हैं वो भी हमारे हैं. उनके विरोध से हमारी क्षति न हो यह चिंता हम करेंगे लेकिन इसके साथ ही सबको जोड़ने का प्रयास भी हम करेंगे.

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