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RSS के कार्यक्रम में ममता-मायावती को न्योता, राहुल गांधी को नहीं बुलाया

आरएसएस के बहुप्रतिक्षित कार्यक्रम में अब महज 3 दिन शेष हैं, लेकिन उसकी ओर से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को न्योता नहीं दिया गया है, जबकि इस बारे में लंबे समय से कयास लगाए जा रहे है. हालांकि ममता बनर्जी को बुलाया गया है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल)
राहुल श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 10:09 PM IST

संघ के जिस कार्यक्रम में राहुल गांधी को बुलाए जाने को लेकर दुनियाभर के कयास लगाए जा रहे थे, उस पर से पर्दा उठ गया है. संघ ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को न्योता नहीं भेजा है. कांग्रेस से संघ ने दिग्विजय सिंह को आमंत्रित किया है. 17 से 19 सितबंर तक चलने वाले इस सेमिनार का विषय भविष्य का भारत है. ममता बनर्जी और अखिलेश यादव भी संघ के आमंत्रितों में शामिल हैं. कुल 40 दलों के प्रमुख नेताओं को सेमिनार में अपनी बातें रखने के लिए संघ ने न्योता दिया है.

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दिल्ली के विज्ञान भवन में 17 सितंबर से शुरू हो रहे अपने 3 दिवसीय कार्यक्रम में संघ की ओर से राहुल गांधी को बुलाए जाने की खबरें आती रही हैं, हालांकि अभी तक ऐसा कोई न्योता नहीं दिया गया है. कहा जा रहा है कि संघ की योजना है कि राहुल को इस कार्यक्रम के लिए निजी तौर पर आमंत्रित किया जाए.

सूत्रों के अनुसार, संघ के मुखर आलोचक मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को आरएसएस ने कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया है. दिग्विजय के अलावा अन्य कई चौंकाने वाले नाम भी हैं जिन्हें संघ की ओर से आमंत्रित किया गया है.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव और मायावती के अलावा पश्चिम बंगाल की फायर ब्रांड नेता और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रित किया गया है. आरएसएस ने एआईडीएमके, डीएमके, बीजेडी और टीडीपी समेत देश की 40 राजनीतिक दलों के मुखिया को निमंत्रित किया गया है.

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कहा जा रहा है कि कई मुस्लिम धर्मगुरुओं को भी निमंत्रित किया गया है. हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आमंत्रण पर कहा कि जब तक उसकी सोच में बदलाव नहीं होगा, उसके किसी कार्यक्रम में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है.

पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा, 'आरएसएस अपनी छवि बदलने के लिए इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है. हमें नहीं लगता कि मुसलमानों को लेकर संघ की बुनियादी सोच में कोई तब्दीली आई है.'

आरएसएस का 'भविष्य का भारत' कार्यक्रम पिछले काफी दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है. इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए संघ की ओर से दुनियाभर के कुल 70 देशों को निमंत्रण भेजा जाएगा.

संघ अपने कार्यक्रम में राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, मीडिया से जुड़े लोगों, धार्मिक संगठनों और अन्य कई देशों के प्रतिनिधियों को निमंत्रित कर रहा है. हालांकि इसमें पाकिस्तान से किसी भी प्रतिनिधि को नहीं बुलाया जा रहा.

इस कार्यक्रम में एक तरह से पूरी लेक्चर सीरीज होगी. कार्यक्रम के पहले दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत का भाषण होगा, जिसमें वह आरएसएस के विचार रखेंगे. इस कार्यक्रम के दौरान वह आम जनता से भी सीधे संवाद भी कर सकते हैं.

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