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हर कीमत पर राम मंदिर! अयोध्या केस पर सुनवाई से 10 दिन पहले भागवत के बयान के मायने

राममंदिर निर्माण को लेकर संघ के तेवर सख्त हो गए हैं. संघ अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार भी करने के मूड में नजर नहीं  आ रहा. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि किसी भी कीमत पर राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए.

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फोटो-rss twitter) आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फोटो-rss twitter)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:34 PM IST

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़ी विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर चल रहे मामले की सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्टूबर से नियमित सुनवाई शुरू हो रही है. इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सुनवाई से 10 दिन पहले राममंदिर निर्माण को लेकर कड़े तेवर दिखाए हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विजयादशमी उत्सव के मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि किसी भी रास्ते से राम मंदिर का निर्माण जरूर होना चाहिए, इसके लिए सरकार को कानून लाना चाहिए.

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संघ प्रमुख ने कहा कि राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के हैं. हिंदू-मुस्लिम दोनों के लिए आदर्श हैं. संविधान की प्रति में भगवान राम का चित्र है. उन्होंने कहा कि किसी भी मार्ग से बने लेकिन उनका मंदिर बनना चाहिए. सरकार को इसके लिए कानून लाना चाहिए.

भागवत ने कहा कि अगर राम मंदिर बनता है तो देश में सद्भावना का माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि इनकी सत्ता है फिर भी मंदिर क्यों नहीं बना, वोटर सिर्फ एक ही दिन का राजा रहता है.

गुरुवार को संघ मुख्यालय नागपुर में आरएसएस की ओर से विजयादशमी उत्सव मनाया गया. इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख के राममंदिर को लेकर दिए गए बयान से साफ है कि संघ अब और लंबा इंतजार नहीं करना चाहता.

संघ प्रमुख ने सरकार और देश के लोगों को साफ संकेत दिए हैं कि राममंदिर किसी भी कीमत पर चाहिए. ऐसे में अगर सरकार राममंदिर के लिए कानून नहीं लाती है तो सबरीमाला मामले पर भागवत का ये कहना कि धर्म से जुड़े मामले पर धर्माचार्यों की राय के बाद ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए, वो बदलाव की बात को समझते हैं.

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संघ प्रमुख ने कहा कि सबरीमाला में जिन्होंने याचिका डाली वो कभी मंदिर नहीं गए, जो महिलाएं कोर्ट के फैसले से असहमत होकर आंदोलन कर रही हैं वो आस्था को मानती हैं. कोर्ट के फैसले से वहां पर असंतोष पैदा हो गया है. महिलाएं ही इस परंपरा को मानती हैं, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. इसी का नतीजा है कि महिलाएं भी विरोध कर रही हैं.

सबरीमाला मामले में कोर्ट के फैसले के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों के साथ संघ प्रमुख के खड़े होने के पीछे भी बड़ा संकेत माना जा रहा है. अयोध्या मामले में कोर्ट अगर किसी कारणवश राममंदिर के खिलाफ फैसला देता है तो हिंदू समाज उसके खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन कर सकता है.

राममंदिर मामले को लेकर साधु-संत पहले से ही सरकार पर दबाव बना रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई से महज 10 दिन पहले संघ प्रमुख ने राममंदिर के लिए कानून बनाने की बात कहकर और भी बड़ा दबाव सरकार पर बना दिया है.

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