
भारत का भविष्य विषय पर आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम का आज आखिरी दिन है. इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गोरक्षा और मॉब लिंचिंग पर भी अपने विचार साझा किए. उन्होंने गोरक्षा को देश के लिए योगदान बताते हुए इसे मॉब लिंचिंग की घटनाओं से न जोड़ने की बात कही.
गोरक्षा कैसे की जाए और गोतस्करी कैसे बंद हो, इस सवाल पर आरएसएस प्रमुख ने तफ्सील से अपने विचार रखे. उन्होंने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर कहा कि गाय ही नहीं, किसी भी मुद्दे पर कानून हाथ में लेना और हिंसा करना अपराध है और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
भागवत ने कहा कि कानून हाथ में लेने वाले अपराधियों को सजा होना चाहिए, लेकिन आगे उन्होंने ये भी कहा कि गाय श्रद्धा का विषय है. साथ ही भागवत ने गाय की महत्ता भी बताई. उन्होंने कहा कि गाय देश के छोटे किसान की अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार बन सकती है.
हिंसा पर दोहरे मापदंडउन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गोरक्षा जरूरी है, इससे देश को कई रूप में लाभ पहुंचेगा. भागवत ने कहा, 'गोरक्षा होनी चाहिए और उसका पालन करना चाहिए. गोरक्षा केवल कानून से नहीं होती. अगर नागरिक गाय नहीं पालेंगे तो रक्षा कैसे होगी.'
भागवत ने आगे कहा, 'गाय के जितने भी उपयोग हो सकते हैं, उस पर ध्यान देना चाहिए. गोरक्षा बहुत लोग कर रहे हैं. जो संघ से नहीं जुड़े हैं, वो भी इस काम में लगे हैं. देश में भक्ति के साथ गोशाला चलाने वाले मुसलमान भी काफी हैं.'गाय के नाम पर हिंसा की घटनाओं पर भागवत ने कहा कि जब गोतस्कर हमला करते हैं तो उसपर कोई बात नहीं होती है, लेकिन जब मॉब लिंचिंग होती है तो उसके खिलाफ आवाज उठाई जाती है. उन्होंने कहा कि ये दोहरे मापदंड सही नहीं हैं.
आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा कि जो उपद्रवी तत्व हैं, उन्हें गोरक्षकों के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए. भागवत ने कहा कि हाथों से गोसेवा करने वालों की आपराधिक प्रवृत्ति कम हो जाती है. इसलिए ऐसा करना चाहिए, इससे देश में अपराध भी कम हो जाएगा.