
मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी ने इसे आरटीआई एक्ट की धारा 8(1) के अन्तर्गत बताते हुए कहा कि इस विषय पर नागरिकों को सूचना देने की बाध्यता नहीं है. नूतन ने इसके खिलाफ प्रथम अपील दायर कर कहा है कि मात्र धारा 8(1) में सूचना देने से मना करने की बात सही नहीं है, बल्कि यह भी बताया जाना जरूरी है कि सूचना धारा 8(1) की किस उपधारा में निषिद्ध है. इससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी नूतन को यह सूचना 'यथोचित विचार के बाद' देने से मना कर दिया था.
जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान, झंडा और दंड संहिता होता था. लेकिन अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अब वहां भारतीय संविधान लागू होगा. सरकारी इमारतों पर तिरंगा लहराएगा और भारतीय दंड संहिता का पालन होगा. राज्य में पहले किसी बाहरी शख्स के जमीन खरीदने पर भी पाबंदी थी. यह प्रावधान भी खत्म हो गया है.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया है. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. मौजूदा जम्मू-कश्मीर राज्य के राज्यपाल अब केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर और केंद्र शासित लद्दाख के उपराज्यपाल होंगे.साथ ही विधानसभा का कार्यकाल भी 6 नहीं 5 साल का होगा.
अनुच्छेद 370 को हटाना केंद्र सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. लिहाजा सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए घाटी में 35 हजार से ज्यादा सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है. हालांकि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के 3 हफ्ते बाद कई इलाकों में कर्फ्यू में ढील दी गई है. लोगों की आवाजाही सड़कों पर पहले की तरह शुरू हो गई है. छात्र-छात्राएं स्कूल और कॉलेज जा रहे हैं. सरकारी दफ्तरों में भी कामकाज शुरू हो गया है.