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सबरीमाला मंदिर में महिला श्रद्धालुओं के लिए बढ़ेंगी सुविधाएं, डिजिटल बुकिंग जल्द

अभी हाल में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में सबरीमाला मंदिर में महिला श्रद्धालुओं को प्रवेश की इजाजत दी है. इसके बाद केरल सरकार का जोर ऐसी श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर ज्यादा है.

सबरीमाला मंदिर (पीटीआई फोटो) सबरीमाला मंदिर (पीटीआई फोटो)
रविकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 01 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 7:21 PM IST

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिला श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाएं बढ़ेंगी. केरल सरकार ने सोमवार को इस बारे में एक बैठक की जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए.

देवसोम मंत्री कडकपल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि सबरीमाला मंदिर में आने वाली महिला श्रद्धालुओं के लिए सरकार कई सुविधाएं बढ़ाने जा रही है. मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों को कोई तकलीफ न हो और पहले से बुकिंग हो सके इसके लिए डिजिटल बुकिंग की सुविधा भी जल्द शुरू की जाएगी.

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सरकार की तैयारी है कि बंदोबस्त कुछ इस प्रकार किए जाएं कि प्रति दिन 1 लाख श्रद्धालु अय्यप्पा मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकें. महिलाओं को राहत देने के लिए मंदिर के पठीनेट्टम पडी (18 पवित्र सीढ़ियां) पर महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी. केरल परिवहन निगम की बसों में नलक्कल से पंबा तक महिला यात्रियों के लिए 25 फीसदी सीट आरक्षित की जाएगी.

पंबा से लेकर शनिधाम के रास्ते में जगह-जगह महिलाओं के लिए अलग से शौचालय बनाए जाएंगे. हालांकि मंदिर के बाहर महिला श्रद्धालुओं के लिए अलग से कोई लाइन नहीं होगी.

अभी हाल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर लगी रोक अब खत्म हो गई. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया. पांच जजों की बेंच ने 4-1 (पक्ष-विपक्ष) के हिसाब से महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया. करीब 800 साल पुराने इस मंदिर में ये मान्यता पिछले काफी समय से चल रही थी कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए.

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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस नरीमन, जस्टिस खानविलकर ने महिलाओं के पक्ष में एक मत से फैसला सुनाया. जबकि जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सबरीमाला मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आस्था के नाम पर लिंगभेद नहीं किया जा सकता है. कानून और समाज का काम सभी को बराबरी से देखने का है. महिलाओं के लिए दोहरा मापदंड उनके सम्मान को कम करता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि भगवान अय्यप्पा के भक्तों को अलग-अलग धर्मों में नहीं बांट सकते हैं.

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