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विधानसभा चुनाव 2017: समाजवादी पार्टी और कांग्रेस कर सकते हैं गठबंधन, बातचीत फाइनल स्टेज में

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक साथ लड़ सकते हैं. पिछले कई हफ्तों से दोनों पार्टियों के बीच इस गठबंधन और सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है.

अखिलेश यादव, राहुल गांधी अखिलेश यादव, राहुल गांधी
सबा नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:37 AM IST

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एक साथ लड़ सकते हैं. पिछले कई हफ्तों से दोनों पार्टियों के बीच इस गठबंधन और सीट बंटवारे को लेकर जारी बातचीत आखिरी पड़ाव में पहुंच गई है.

समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का बरसों पुराना साथ
1. सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और राज बब्बर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ कई बार गठबंधन को लेकर बैठक कर चुके हैं. इन दोनों पार्टियों में गठबंधन होने से विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बड़ा असर पड़ेगा.

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2. बताया जा रहा है, दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को इस गठबंधन के लिए गलतफहमियों को दूर कर मतभेद खत्म करने होंगे. ऐसा कहा जाता है कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस को संदेह की नजर से देखते हैं, राज्य में सबसे पुरानी पार्टी को पुनर्जीवित करने के डर से वो कांग्रेस से हाथ मिलाने के खिलाफ रहे हैं.

3. समाजवादी पार्टी ने वर्षों के प्रयास के बाद कांग्रेस को राज्य में हाशिए पर लाकर खुद को मुख्य 'धर्मनिरपेक्ष' पार्टी के रूप में स्थापित किया. मुलायम सिंह यादव का मानना ​​है कि कांग्रेस पार्टी के पुनरुद्धार राज्य में अल्पसंख्यक वोटों को आकर्षित करेगा.

4. वहीं कांग्रेस नेतृत्व भी अतीत में सपा प्रमुख की गलतफहमियों का शिकार हुआ है. राहुल गांधी का मानना ​​है कि वह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ राजनीतिक रिश्ता रख सकते हैं, लेकिन सपा प्रमुख के साथ वह काफी असहज महसूस करते हैं.

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5. दोनों पार्टियों का संदेह और अविश्वास की घटनाओं का इतिहास रहा है. 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी सपा प्रमुख के साथ गठबंधन की कोशिश में नाकाम साबित हुए थे. एक बार, राजीव गांधी से मुलायम सिंह यादव ने लखनऊ में गठबंधन की घोषणा करने का वादा किया और अगली सुबह दिल्ली से लखनऊ रवाना हो गए. मुलायम ने विधानसभा भंग कर अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी जिससे कांग्रेस को काफी निराशा हुई.

6. इतिहास गवाह है दोनों पार्टियों के बीच जब भी गठबंधन पर बात हुई वह केवल बीजेपी को राज्य में सत्ता से दूर रखने के लिए की गई है. दोनों पार्टियों में गठबंधन होने से समाजवादी के अल्पसंख्यक वोटों के बंटने का डर खत्म हो जाएगा साथ ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस को भी राज्य में फिर से जीवनदान मिल जाएगा.

7. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में 71 सीटें और 42 फीसदी वोट प्रतिसत के साथ जीत दर्ज की थी. वहीं आम चुनाव में सपा 22.2 फीसदी वोट प्रतिशत के साथ 5 सीट जीत पाई थी और कांग्रेस 7.5 फीसदी वोट शेयर के साथ 2 ही लोकसभा सीट जीत सकी थी.

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