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EC के 48 साल पुराने फॉर्मूले से तय हो सकता है 'साइकिल' का भविष्य

उस वक्त इन्हीं कसौटियों पर तोलकर आयोग ने फौरन इंदिरा गांधी की कांग्रेस यानि कॉंग्रेस (J) को असली कांग्रेस के रूप में मान्यता दे दी. ये कॉंग्रेस में 1969 में हुए बिखराव का मामला है.

अखिलेश- मुलायम अखिलेश- मुलायम
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST

समाजवादी पार्टी में आंतरिक कलह के बाद साइकिल किसका चुनाव चिन्ह होगा इसे लेकर अभी कुछ साफ नहीं है. लेकिन आपको तीन कसौटियों के बारे में बताते हैं जिनसे चुनाव आयोग से विवाद सुलझा सकता है. क्योंकि पहले भी 1969 में कांग्रेस पार्टी के सामने ऐसा ही संकट आ चुका है.

आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक फिलहाल इन तीन कसौतियों पर विचार किया जा रहा है जिनके जरिए समाजवादी पार्टी के संकट को शांत किया जा सकता है.

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पहली कसौटी

पहली कसौटी पार्टी का संविधान होगा. चुनाव आयोग ने तब कांग्रेस के संविधान को आधार बनाया था. दोनों पक्षों यानि एस निजलिंगप्पा और इंदिरा गांधी के पार्टी के दावों पर चुनाव आयोग ने देखा कि दोनों समूहों में से किसी ने भी पार्टी संविधान के नियमों का पालन नहीं किया. एस निजलिंगप्पा ने पार्टी संविधान को आधार बनाकर ही कांग्रेस पर अपना दावा किया था.

दूसरी कसौटी

दूसरी कसौटी संविधान के लक्ष्य और उद्देश्य पर गम्भीरता को माना जाएगा. चुनाव आयोग ने दूसरे टेस्ट के तौर पर देखा कि किस समूह ने कांग्रेस संविधान के लक्ष्य और उद्देश्य का पालन किस तरह किया या फिर नहीं किया. आयोग ने पाया कि दोनों समूहों में से किसी ने भी पार्टी के लक्ष्य और उद्देश्य को चुनौती नहीं दी थी. यानि इस मामले में दोनों खरे उतरे थे.

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तीसरी कसौटी

तीसरी कसौटी किस के पास कितना बहुमत की है. जब दो टेस्ट के आधार पर चुनाव आयोग कोई फैसला नहीं कर पाया तो आयोग ने बहुमत के टेस्ट को आधार बनाया. चुनाव आयोग ने पार्टी संगठन के साथ ही लोकसभा और विधानसभा में दोनों समूहों के बहुमत का पता लगाया. चुनाव आयोग ने देखा कि जगजीवन राम के समूह को संगठन और लोकसभा-विधानसभा के अधिकतर लोगों का बहुमत हासिल है.

उस वक्त इन्हीं कसौटियों पर तोलकर आयोग ने फौरन इंदिरा गांधी की कांग्रेस यानि कॉंग्रेस (J) को असली कांग्रेस के रूप में मान्यता दे दी. ये कॉंग्रेस में 1969 में हुए बिखराव का मामला है.

इसके बाद पार्टियों में राजनीतिक मतभेद, विवाद और टूट के मामलों में विवाद का निपटारा करने के लिए पार्टियों के विभिन्न धड़ों के दावों और दलीलों को इन्ही कसौटियों पर कसता रहा है. साथ ही फैसले भी इन्ही आधार पर होते रहे हैं. इस बार भी मुलायम और अखिलेश गुट में विवाद ज़्यादा बढ़ा तो ये ही कसौटियां आधार बन सकती हैं.

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