
राजस्थान में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 'संजीवनी घोटाले' को लेकर सियासत तेज हो गई है. मामले को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आमने-सामने है और वर्षों पुरानी अदावत अब अदालत की चौखट तक पहुंच गई है. सीएम अशोक गहलोत लगातार पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर रहे हैं, तो विपक्ष इसे चुनाव से जोड़कर देख रहा है. इस बीच रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन पीड़ितों के एक शिष्टमंडल से मुलाकात की जिन्होंने अपनी करोड़ों की जमापूंजी संजीवनी घोटाले में गंवा दी. सीएम गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार पीड़ितों की जमा राशि को वापस दिलाने का हर संभव प्रयास करेगी.
सीएम के खिलाफ कोर्ट पहुंचे शेखावत
राज्य के विभिन्न जिलों से आए पीड़ितों ने मुख्यमंत्री को करोड़ों रुपये की ठगी के साथ-साथ अपनी बिगड़ती आर्थिक स्थिति से अवगत कराया.सीएम अशोक गहलोत इस मामले को लेकर जोधपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाते रहे हैं. वहीं शेखावत, सीएम गहलोत को चेलैंज करते हुए कह रहे हैं कि अगर आरोप सहीं हैं तो साबित करिए. अपने खिलाफ लग रहे आरोपों के बाद गजेंद्र सिंह शेखावत ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में एक शिकायत भी दर्ज कराई है. अपनी शिकायत में उन्होंने मुख्यमंत्री गहलोत पर आरोप लगाया कि संजीवनी घोटाले से नाम जोड़कर उन्हें बदनाम किया जा रहा है.
पीड़ितों की आपबीती
वहीं घोटाले के पीड़ित शिष्टमंडल से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया. बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान कई पीड़ितों ने शेखावत और सोसाइटी के प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह का नाम लिया. पीड़ितों में से एक, शकुंतला शर्मा ने कहा कि एजेंटों ने उसे बताया था कि पैसा सुरक्षित है जिसके बाद उन्होंने सोसाइटी में 25 लाख रुपये का निवेश किया था. एक अन्य पीड़ित उषा ने कहा कि उसने कई अन्य महिलाओं से भी सोसाइटी में 20 लाख का निवेश कराया था और अब वे महिलाएं उससे रोजाना पैसे वापस मांगती हैं.
सीएम ने दिया आश्वासन
जयपुर के मलपुरा निवासी विष्णु ने बताया कि उन्होंने अपने अलावा कई रिश्तेदारों से करीब 5 करोड़ रुपये का निवेश सोसाइटी में करवाया. उन्होंने कहा,'अब पैसा नहीं मिलने के कारण आपसी संबंधों में खटास आ गई है.' मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीर बताते हुए पीड़ितों उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया और कहा, 'मुझे आपके दर्द के बारे में सुनकर दुख हुआ. अगर राज्य सरकार के स्तर पर कानून में बदलाव की जरूरत पड़ी तो किया जाएगा.' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पीड़ितों की जमा राशि वापस दिलाने का हरसंभव प्रयास करेगी.
क्या है संजीवनी घोटाला
संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत 2008 में रजिस्टर्ड कराया गया था. इसके बाद 2010 में ये सोसाइटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल गई. इसमें निवेश करने वालों को अच्छे रिटर्न का लालच दिया गया. करीब 1लाख से अधिक लोगों ने इस सोसाइटी में लगभग 900 करोड़ रुपये कानिवेश किया. इसके बाद निवेशकों के पैसे को गलत तरीके से लोन पर दिया गया और ब्याज नहीं लिया गया. देखते ही देखते सोसाइटी ने कई राज्यों में अपनी शाखाएं खोल दीं और फर्जी कंपनियां खोलकर लोन बांटे गए. इस सोसाइटी के पहले मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम सिंह थे, जो घोटाले की जांच में प्रमुख नाम भी हैं. विक्रम सिंह को ही इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड माना जाता है जिनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है. विक्रम सिंह और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच कनेक्शन भी बताया जाता है और दोनों की साथ में तस्वीर वायरल हुई थी.
साथ ही आरोप ये भी हैं कि निवेशकों का पैसा गलत तरीके से विक्रम सिंह के खातों में ट्रांसफर हुआ और विक्रम सिंह ने एक ऐसी कंपनी से शेयर खरीदे जिसके शेयरहोल्डर गजेंद्र सिंह भी हैं. 2019 में मामले में पहली एफआईआर हुई और कई अधिकारियों की गिरफ्तारियां भी हुईं. निचली अदालत ने एक शिकायत के आधार पर जहां गजेंद्र सिंह की भूमिका को लेकर जांच के आदेश दिए तो वहीं हाईकोर्ट से बाद में इस पर रोक लगा दी थी.
पुरानी है ये सियासी अदावत
अशोक गहलोत और गजेंद्र सिंह शेखावत की सियासी अदावत काफी पुरानी है और अक्सर दोनों एक दूसरे पर तीखे हमले करते रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में गजेंद्र सिंह शेखावत ने सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जोधपुर सीट से करारी शिकस्त दी थी जिसके बाद से दोनों की सियासी लड़ाई तेज हो गई. यह अदावत उस समय और बढ़ गई जब 2020 में पायलट गुट ने गहलोत सरकार से बगावत कर दी थी. इसके बाद कई दिनों तक राज्य में राजनीतिक अस्थिरता रही. बाद में कुछ ऑडियो सामने आए और गहलोत ने आरोप लगाया कि यह आवाज गजेंद्र सिंह शेखावत की है जिन्होंने राज्य सरकार को गिराने की साजिश रची. हालांकि शेखावत ने अपने खिलाफ लगाए आरोपों को खारिज कर दिया था.