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Sawan: उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती, सावन के पहले दिन हरिद्वार से देवघर तक शिवभक्तों का रेला

सावन शुरू हो चुका है, हर शहर में भोले के भक्त मंदिर में भगवान शिव पर जलाभिषेक कर रहे हैं. प्रसिद्ध उज्जैन के महाकाल मंदिर में सावन के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा की भस्म आरती के दर्शन करने पहुंचे.

कांवड़ यात्रा 2022 (फाइल- फोटो) कांवड़ यात्रा 2022 (फाइल- फोटो)
aajtak.in/संदीप कुलश्रेष्ठ
  • नई दिल्ली ,
  • 14 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 8:44 AM IST
  • कांवड़ यात्रा शुरू, हेलीकॉप्टर से रखी जाएगी नजर
  • देशभर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

सावन का पहला दिन भगवान शिव के नाम से गूंज उठा. झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम से लेकर हरिद्वार तक भोले के भक्ताें की भीड़ देखी जा रही है. शिवालयों में सुबह से ही भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए भक्त निकल पड़े. हर तरफ भोलेनाथ के जयकारे की गूंज सुनाई दे रही है.

महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती में उमड़ा आस्था का सैलाब

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उज्जैन के महाकाल मंदिर में सावन माह की शुरुआत बड़े हर्षोल्लास के साथ हुई. बाबा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में सावन के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा की भस्म आरती का लाभ लेने महाकाल मंदिर पहुंचे. सुबह 3 बजे बाबा के पट खोले गए, इसके बाद बाबा पर जल चढ़ाया गया फिर महाकालेश्वर का दूध, घी, दही , शक्कर, शहद से पंचामृत अभिषेक किया गया. इसके बाद बाबा का श्रृंगार कर भस्म आरती की गई. जो करीब 1 घंटे तक चली. उसके बाद बाबा का मनमोहक विशेष श्रृंगार किया गया. 

एक घंटे पहले खोले गए पट

महाकाल मंदिर के पुजारी ने बताया कि सामान्य दिनों में  रोजाना सुबह 4 बजे बाबा के पट खोले जाते हैं, लेकिन सावन माह में सुबह 3 बजे ही बाबा के पट खोल कर भस्म आरती की तैयारी कर मनमोहक श्रृंगार किया गया है. सभी पुजारियों ने मिलकर बाबा की लगभग 1 घंटे तक आनंदमयी भस्म आरती की और बाबा की इस दुर्लभ भस्म आरती का दर्शन लाभ प्राप्त किया. 

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महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि सावन मास शिव जी का दिन है और शिव का दिन होने के कारण शिव भक्तों में बड़ा उत्साह है और ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में बड़ा  उत्सव होता है. यहां पर भस्म आरती के नाम से जो मंगला आरती होती है उसके कारण श्रद्धालुओं में उत्साह बढ़ जाता है. महाकालेश्वर दक्षिण मुखी है और दक्षिण मुखी होने के कारण 12 ज्योतिर्लिंग में इस ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है. 

महाकाल मंदिर में सावन माह की शुरुआत बड़े हर्षोल्लास के साथ हुई

 

दो साल बाद हो रही कांवड़ यात्रा: 

कोरोना वायरस की वजह से दो साल बाद कांवड़ यात्रा शुरू हुई है. पूरे देश में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. यूपी प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंताजाम किए हैं. एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि राज्य में कावंड़ यात्रा को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था के सभी इंतजाम किए जा रहे हैं और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पीएसी की 150 से अधिक कंपनियों को तैनात किया गया है. इसके साथ ही केंद्र की ओर से 20 कंपनी सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स की मांग की गई है और अभी तक केन्द्र सरकार ने 11 कंपनी फोर्स भी उपलब्ध कराई गई है. इस फोर्स को संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कांवड़ियों के भेष में कोई अराजक तत्व शामिल न हों, इसकी निगरानी भी की जा रही है. इसके लिए सभी थानों को अलर्ट किया गया है और इसके निर्देश भी जिलों के अधिकारियों को दिए गए हैं.

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कांवड यात्रा को लेकर कई मान्यता

कांवड़ यात्रा को लेकर कई मान्यताएं है, ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले त्रेतायुग में श्रवण कुमार अपने माता पिता की इच्छा पूरी करने के लिए कांवड़ यात्रा की थी. वो अपने माता- पिता को कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार ले गए थे और वहां पहुंचकर उन्होंने माता पिता को गंगा में स्नान करवाया और वापस लौटते समय श्रवण कुमार गंगाजल लेकर आए. उन्होंने अपने माता-पिता के साथ जल को शिवलिंग पर चढ़ाया. तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई. इसके अलावा कुछ लोगों का मानना है कि सबसे पहले भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाया था. इसके बाद कांवड़ यात्रा शुरू हुई.

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