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SC Aadhaar Verdict: 5 बातें जो आधार के पक्ष में गईं

आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने केंद्र से डेटा प्रोटेक्शन पर जल्द से जल्द मजबूत कानून लाने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने आधार को सुरक्षि‍त और लोगों के लिए जरूरी बताया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अंकुर कुमार
  • नई द‍िल्ली,
  • 26 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:34 AM IST

आधार की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने आधार को सुरक्षि‍त और लोगों के लिए जरूरी बताया है. जस्टिस सीकरी ने इस मामले पर अपना फैसला पढ़ा. जस्टिस सीकरी, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एम खानविलकर की तरफ से फैसला पढ़ रहे हैं. आइए जानते हैं वह कौन सी 5 बातें थी जो आधार के पक्ष में गईं:

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1. गरीबों को मिलती है ताकत: कई केंद्रीय योजनाओं को आधार से जोड़ा गया है. इससे गरीबों तक मदद सीधे पहुंच रही है. इसी पर जज ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि आधार पर हमला करना लोगों के अधिकारों पर हमला करने के समान है.

2. आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है: आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार पर हमला संविधान के खिलाफ है. फैसला पढ़ते हुए जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि हर चीज बेस्ट हो, कुछ अलग भी होना चाहिए. आधार कार्ड पिछले कुछ साल से चर्चा का विषय बना है.

3. आधार में देनी पड़ती है कम जानकारी:  आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि आधार के लिए काफी कम जानकारी ली जाती है. ऐसे में लोगों की निजी जानकारी सुरक्ष‍ित है.

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4. आधार के डुप्लीकेट का कोई खतरा नहीं: आधार की संवैधानिक वैधता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि डुप्लीकेट आधार नहीं बनाया जा सकता है. आधार एकदम सुरक्षित है.

5. मौलिक अधिकारों पर बैन लग सकता है: जस्टिस सीकरी ने यह भी कहा कि लोगों को सशक्त बनाने के लिए मौलिक अधिकारों पर बैन लग सकता है.

आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी जो 38 दिनों तक चली. आधार से किसी की निजता का उल्लंघन होता है या नहीं, इसकी अनिवार्यता और वैधता के मुद्दे पर 5 जजों की संवैधानिक पीठ अपना फैसला सुना रही थी.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. आधार पर फैसला आने तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों की बाकि सभी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक लगाई गई थी. इनमें मोबाइल सिम और बैंक खाते भी शामिल थे.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंक करने का ऑप्शन खुला रहना चाहिए. इसके अलावा सख्त रुख अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है.

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