
SC/ ST एक्ट के प्रावधानों के दुरुपयोग और सरकारी कामकाज में इसकी वजह से पड़ रहे असर को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस उदय उमेश ललित की पीठ को आंकड़े, सबूत और दलीलों को देखने सुनने के बाद ये यकीन हो गया था कि बड़े पैमाने पर इस एक्ट का दुरुपयोग बदला निकालने और ब्लैकमेल करने में किया जा रहा है.
मंगलवार को दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कई प्रावधान बनाए हैं. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अपराध में सुप्रीम कोर्ट ने दिए दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी.
गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच होना जरूरी होगा. कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी से पहले उसे जमानत भी दी जा सकती है. इस बीच आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने से पहले DSP स्तर का पुलिस अधिकारी आरोपों की प्रारंभिक जांच करेगा. इस दौरान दर्ज मामले में अग्रिम जमानत पर भी कोई संपूर्ण रोक नहीं है.
कोर्ट ने ये भी तय कर दिया है कि इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों में आरोपी बनाए गए किसी सरकारी अफसर की गिरफ्तारी से पहले उसके उच्चाधिकारी से अनुमति लेनी भी जरूरी होगी. अगर आरोपी सरकारी कर्मचारी नहीं है तो SSP से अनुमति लेनी होगी. SSP आरोपी और पीड़ित के बयान देखने सुनने के बाद फैसला करेगा कि मंज़ूरी दी जाए या नहीं.