
SC/ST एक्ट में बदलाव को लेकर पूरे देश में दलित संगठनों ने बंद बुलाया है. इस बीच केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जानकारी दी कि सरकार ने SC/ST एक्ट मामले में रिव्यू पेटिशन फाइल की है.
उन्होंने इस दौरान कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस बताए बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न 1990 में जाकर क्यों मिला, जब मिला तब वीपी सिंह सरकार को बीजेपी का समर्थन था. उन्होंने कहा कि 1956 में अंबेडकर का निधन हुआ था, इतने लंबे वक़्त तक कांग्रेस सरकारों ने उनको भारत रत्न क्यों नहीं दिया था. रविशंकर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में SC/ST एक्ट में आए फ़ैसले के बाद सोमवार को दायर पुनर्विचार याचिका में सरकार ने अपनी तरफ़ से ये तर्क दिए हैं :-
1) सरकार ने कहा कि SC/ST एक्ट पर जिस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया है, उसमें सरकार पार्टी नहीं थी.
2) क़ानून बनाना संसद काम है.
3) सरकार का मानना है कि 3 तथ्यों के आधार पर ही क़ानून को रद्द कर किया जा सकता है.
A) यदि मौलिक अधिकार का हनन हो.
B) यदि क़ानून अगर ग़लत बनाया गया हो तो.
C) अगर कोई क़ानून बनाने का अधिकार संसद के अधिकार क्षेत्र में आता हो तो.
4) सरकार की यह भी दलील है कि कोर्ट ये नहीं कह सकता है कि क़ानून का स्वरूप कैसा हो, क्योंकि क़ानून बनाने का अधिकार संसद के पास है.
5) साथ ही किसी भी क़ानून को सख़्त बनाने का अधिकार भी संसद के पास ही है.
6) समसामयिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कैसा क़ानून बने ये संसद या विधानसभा तय करती है.
आपको बता दें कि इस एक्ट में बदलाव के बाद से ही दलित समुदाय काफी नाराज़ है. यही कारण है कि सोमवार को भारत बंद बुलाया गया है. इस दौरान कई जगह पर हिंसा की खबरें भी सामने आई हैं. कई शहरों में रेल रोकी गई तो कहीं हिंसक झड़पें हुई. प्रदर्शनकारियों ने मेरठ में कई गाड़ियों में तोड़फोड़ की और शोभापुर पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया.
NDA के दलित सांसदों समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव डाला था. जिसके बाद अब पुनर्विचार याचिका दायर की गई है. केंद्र का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से SC/ST के लिए जो प्रावधान है वह कमजोर होंगे, इसका दुरुपयोग बढ़ेगा.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने को कहा था. जिसके बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था. आपको बता दें कि इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, थावरचंद गहलोत सहित कई सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी.