
महाराष्ट्र में सियासी माहौल में गरमाहट के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के प्रमुख शरद पवार ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. पवार ने गुजरात के नरोदा गाम मामले में फैसले से लेकर पुलवामा हमले तक टिप्पणी की. पवार ने कहा कि लोग दंगों में मारे गए. आज सभी आरोपी बरी हो गए. भारत में लॉ एंड ऑर्डर भी मारा गया है. सरकार, सत्ता का दुरूपयोग कर रही है.
पवार ने कहा- देश में कई घटनाएं हो रही हैं. सच्चाई लोगों के सामने ना आ जाए, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है. हमने हाल ही में एक घटना देखी है. उन्होंने सत्यपाल मलिक का नाम लिए बिना कहा- एक व्यक्ति कश्मीर का राज्यपाल था. उन्होंने पुलवामा के बारे में जानकारी दी, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे. अभी तक सही कारण सामने नहीं आया है. हमने इस मामले में कोई जांच होते नहीं देखी है.
'केंद्र सरकार ने जिम्मेदारी पूरी नहीं की'
पवार ने आगे कहा- उन राज्यपाल ने सच कहा. उन्होंने उन जवानों को ले जाने के लिए हेलिकॉप्टर देने की मांग की थी, लेकिन वह नहीं दिया गया. अंत में उग्रवादियों ने हमला किया और जवान की मौत हो गई. देश के जवान शहीद होते हैं और वजह सामने नहीं आती. केंद्र सरकार के पास जो जिम्मेदारी थी, उसे पूरा नहीं किया गया. पूर्व राज्यपाल ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें घटना के बारे में तथ्यों का खुलासा नहीं करने के लिए कहा गया था.
'सरकार का था कार्यक्रम, इसलिए...'
पवार ने महाराष्ट्र की सियासत पर भी बात की. उन्होंने कहा- जितेंद्र आव्हाड ने खारघर (रायगढ़ में कार्यक्रम में गर्मी से मौत मामला) घटना के बारे में बताया. वे इस बारे में बात कर रहे थे कि वास्तव में उस स्थान पर क्या हुआ था. यह कार्यक्रम सरकार का था, इसलिए इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. आईएएस अपने बॉस के खिलाफ रिपोर्ट नहीं देंगे, इसलिए आईएएस अधिकारी द्वारा जांच पर्याप्त नहीं है.
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तो धूप में कार्यक्रम क्यों?
उन्होंने आगे कहा- जब मुझे पद्म विभूषण मिला तो मेरे परिवार के सिर्फ 10 लोग मौजूद थे. धर्माधिकारी का पुरस्कार सरकार द्वारा आयोजित किया गया था. कई लोग मारे गए. जब लू लगने की आशंका हो तब भी धूप में यह आयोजन कैसे हो सकता है? उन्होंने चुनाव को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम आयोजित किया था. राज्य सरकार द्वारा बड़ा आयोजन करने का एकमात्र कारण बड़ी संख्या दिखाना था. यह जांच किसी रिटायर्ड जज के जरिए होनी चाहिए और वास्तविक तथ्य सामने आने चाहिए. वर्तमान में जिस अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है वह वो सरकार का कर्मचारी है जो सही स्थिति पेश नहीं कर पाएगा. वह इसे मुख्यमंत्री के खिलाफ नहीं रखेंगे.
'कानून और संविधान भी मारा गया है'
पवार ने कहा- गुजरात में साम्प्रदायिक दंगे हुए. कई दिनों तक मामला चला, जिसके बाद उन्हें जमानत मिल गई और अब कई सालों के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया और अब ये सभी बरी हो चुके हैं. अब जो मारे गए वो चले गए, लेकिन यहां कानून और संविधान भी मारा गया है. ऐसा सिर्फ इसलिए हुआ है क्योंकि सत्ता हाथ में है. राज्यों में महंगाई और बेरोजगारी की समस्या है. भारी बारिश से किसान बेहाल हैं.
'बच्चों की लड़ाई में दी जाने लगी ईडी की धमकी'
उन्होंने कहा- सत्ता के दुरुपयोग का बोलबाला है. यह सिस्टम इस हद तक पहुंच गया है कि अगर दो बच्चों में लड़ाई हो जाए तो ईडी को वापस लाने की धमकी दी जाती है. अनिल देशमुख (पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता) पर 100 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था और अब चार्जशीट दायर की गई है, इसमें कहा गया है कि 1.5 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है. उन्होंने शिक्षा व्यवस्था के लिए एक करोड़ रुपए का डोनेशन दिया है और उन पर मुकदमा चला. अब अगर कोई भूमिका को लेकर आगे आएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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'नवाब मलिक को NCP प्रवक्ता होने से जेल भेजा'
पवार ने कहा- नवाब मलिक (पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता) का अब कब तक क्या हुआ है? अब तारीख 15वें दिन के लिए टाल दी गई है. उन्हें राष्ट्रीय पार्टी का प्रवक्ता होने के कारण जेल भेजा गया है. संजय राउत को जेल में डाल दिया गया. हमारे एक साथी जलगांव के एकनाथ खडसे हैं, उनके दामाद को जेल हो गई है, क्योंकि उन्होंने भाजपा छोड़ दी है. अब कहा जा रहा है कि उनका दामाद जेल में आत्महत्या करेगा. शरद पवार ने कहा- जिसके साथ गलत हुआ हो उसके पीछे खड़ा होना चाहिए. इस प्रवृत्ति के खिलाफ लड़ना होगा, किसी भी कीमत पर.
क्या है नरोदा गाम का फैसला...
एक दिन पहले ही गुजरात में एक स्पेशल कोर्ट ने नरोदा गांव (गाम) दंगों के मामले में फैसला सुनाया है. SIT मामलों के विशेष जज एसके बक्शी की कोर्ट ने 20 अप्रैल को 68 आरोपियों को बरी कर दिया है. दरअसल, 2002 में हुए इन दंगों में 11 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद पुलिस ने जांच के आधार पर गुजरात की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी व बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 86 लोगों को आरोपी बनाया था. इन 86 आरोपियों में से 18 की पहले ही मौत हो चुकी है. मामले में 21 साल बाद फैसला आया है.
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बता दें कि 2002 में गोधरा में चलती ट्रेन में आग लगा दी गई थी. इस हादसे में 58 लोगों की मौत हो गई थी. गोधरा कांड के विरोध में अगले दिन बंद बुलाया गया था. इस दौरान अहमदाबाद के नरोदा गाम में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी. इसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद ही पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे. मामले में SIT की जांच बैठी और इस मामले में एसआईटी ने माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था.
माया कोडनानी राज्य सरकार में पूर्व मंत्री रही हैं. नरोदा गांव नरसंहार के मामले में आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 हत्या, 307 हत्या की कोशिश, 143 , 147 दंगे, 148, 129 B, 153 के तहत केस दर्ज किया था. इससे पहले कोडनानी को विशेष अदालत ने नरोदा पाटिया दंगों के मामले में 28 साल की सजा सुनाई थी. इन दंगों में 97 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने बाद में कोडनानी को बरी कर दिया था.