
जेएनयू की पूर्व छात्रा और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट की नेता शेहला रशीद फिर विवादों में आ गई हैं. इस बार वजह बनी हैं शेहला की ओर से कश्मीर में नाकाबंदी के दौरान अत्याचार का आरोप लगाते हुए किए गए ट्वीट. उनके खिलाफ इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने सोमवार को पुलिस में शिकायत भी दर्ज की. लेकिन एक दिन बाद शेहला ने कहा है कि वो अपनी बात पर कायम हैं और इसका सबूत भी सरकार और सेना को सौंप देंगी. शेहला ने साथ ही सवाल के लहज़े में कहा कि अगर मेरे आरोप सही साबित हुए तो क्या सेना कार्रवाई करेगी?
शेहला ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, ‘उग्रवाद बढ़ जाएगा. लोग पहले से ही लापता हो रहे हैं, आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं. अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने से विकास नहीं होगा. उसके लिए हमें लोगों को साथ लेना होगा.
शेहला ने कहा, “मुख्य मुद्दा अनुच्छेद 370 हटाने का है, जिस तरह वहां आवाज़ों को दबाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में मेरी घाटी में असल लोगों से बात हुई है. उन्होंने मुझे सुरक्षा बलों की ओर से की जा रही ज्यादतियों के बारे में बताया. और ये वो लोग नहीं हैं जो अफवाहें फैलाते हैं. ये वास्तविक कश्मीरी हैं जो कोप का सामना कर रहे हैं.’
शेहला से जब उनके दावों को लेकर सबूत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘क्या होगा अगर मैं सबूत के साथ सामने आती हूं. ये अहम नहीं है. असल बात है कि जो थोड़ा कुछ भी कश्मीरी अब कह रहे हैं उसे भी बेबुनियाद बता कर खारिज किया जा रहा है. सेना के पास क्या सबूत है कि मेरे आरोप झूठे हैं? सेना को निष्पक्ष जांच करने देना चाहिए. मैं उनके सामने गवाही दूंगी. उन्हें सारे सबूत पूरी जानकारी के साथ सौंप दूंगी. लेकिन अगर ये सब सच साबित हुआ तो क्या सेना इन सभी लोगों का कोर्टमार्शल करेगी?’
शेहला ने कहा कि ‘हमने देखा था कि एक मेजर ने कैसे सेना के एसओपी को तोड़ा था और कैसे उसे सम्मानित किया गया. इसलिए मेरा सबूत ज्यादा मायने नहीं रखता. सेना ज्यादती कर रही है. ये नया नहीं है.’
शेहला ने घाटी में पाबंदियों को लेकर कहा, “मैं उन पत्रकारों को जानती हूं जिनके कैमरे पुलिस ने छीन लिए. कश्मीरियों को कुछ भी रिकॉर्ड करने से सक्रिय रूप से रोका जाता है. मेरा चचेरा भाई डाउनटाउन (पुराने शहर) से लौट कर आया है, उसने मुझे बताया है कि सुरक्षा बलों ने उनके घरों में तोड़फोड़ की. सरकार अभी जो कर रही है वो संचार लाइनों को बंद करके मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन कर रही है.’
शेहला ने दोहराया, ‘मेरे आरोप लोगों की असल गवाहियों पर आधारित हैं. अगर सरकार संचार लाइनें खोलती है तो ये सभी बाहर आ जाएंगे. भारतीय सेना के खिलाफ बोलने का मेरा कोई निहित स्वार्थ नहीं है. अहम ये नोट करना है कि कल पुलिस में शिकायत के बाद, जांच स्पेशल सेल को सौंप दी गई.’
शेहला ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास को प्राथमिकता दी है. शेहला ने कहा, “मैं भी चाहती हूं कि वे वापस आएं. लेकिन इस तरह के हालात में शांति कैसे संभव है. जहां सरकार को अमरनाथ यात्रियों, पर्यटकों, छात्रों से झूठ बोलना पड़ा. यदि सरकार कह रही है कि (अनुच्छेद 370) हटाने से कश्मीरी पंडितों को (घाटी में) वापस आने का मौका मिलेगा, तो असल में वो किसे मूर्ख बना रही है?”
शेहला के मुताबिक ‘(अनुच्छेद 370) रद्द करने से विकास नहीं होगा और लोग यहां नहीं आएंगे क्योंकि ये कॉन्फ्लिक्ट जोन है. इसके लिए हमें लोगों को साथ लेना होगा. पाकिस्तान को भी अगर ऐसा लगता है. कश्मीर मुद्दे का हल निकाला जाना चाहिए. थोपा गया विकास कभी फलफूल नहीं सकता. हर कोई शांति चाहता है लेकिन इस तरह से नहीं.’
आपके ट्वीट्स से क्या हिंसा को बढ़ावा नहीं मिलेगा? इस सवाल के जवाब में शेहला ने कहा, ‘मेरे ट्वीट हिंसा को कैसे न्योता दे रहे हैं. घाटी में इन तक लोगों की पहुंच ही नहीं है. ये सशस्त्र बलों के एक्शन हैं जो हिंसा को उकसा रहे हैं. हम किसी भी चीज़ के लिए सच को छोड़ने नहीं जा रहे. पूरे सच को सामने आने दें. और मैं कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दे रही, ये सब वो है जो कश्मीरी लोग पहले से ही जानते हैं.’