
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो पर 'मन की बात' कार्यक्रम में कालेधन को लेकर अपनी राय जाहिर की, वहीं मंगलवार को महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने कालेधन को लेकर केंद्र पर वार किया. मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में शिवसेना ने प्रधानमंत्री से उनके चुनावी वादे को लेकर सवाल किया है कि आखिर सरकार ने दो साल के कार्यकाल में कितने देशवासियों के बैंक खातों में 15 लाख रुपये जमा करवाए हैं?
संपादकीय में पार्टी ने लिखा है, 'राष्ट्र निर्माण के कार्य के लिए चुनाव से पहले कालेधन की वापसी की महत्वपूर्ण घोषणा का क्या हुआ? दो साल में आखिर कितने देशवासियों के बैंक खाते में 15 लाख रुपए जमा हुए?'
'हमें मुफ्त चाय नहीं चाहिए'
प्रधानमंत्री के 'मन की बात' कार्यक्रम पर तंज कसते हुए शिवसेना ने लेख का शीर्षक 'चाय से ज्यादा केतली गरम... मन की बात!' दिया है. शिवसेना ने कालेधन को केंद्र में रखकर लिखा है, 'देश बदल रहा है, लेकिन हमें मुफ्त चाय नहीं चाहिए? चुनाव से पहले जो वचन दिया था उसके अनुसार हमारे बैंक खाते में 15 लाख रुपये कब जमा करते हो, यह बताओ? ऐसा कोई सिरफिरा चाय की चुस्की मारते हुए पूछे तो क्या किया जाए? उसे मारें, जलाएं या पकड़ें, ऐसा सवाल कुछ लोगों के मन में उठ सकता है.'
'पीएम को थोड़ा समय और दें'
'सामना' में ऐसा सवाल पूछने वालों के लिए जवाब का जिक्र भी किया है. लेख में लिखा गया है, 'बाबा रे, प्रधानमंत्री मोदी 50 साल की गंदगी साफ कर रहे हैं. उनके हाथ में छड़ी जरूर है, लेकिन वह जादू की छड़ी नहीं है. इसलिए सिर्फ दो साल में सब कुछ बदल जाएगा, ऐसी उम्मीद मत पालो. प्रधानमंत्री को कुछ समय दो.'
'कालाधन हमारे घरों में, उसे खोदकर निकाले'
शिवसेना ने लिखा है, 'कालाधन उद्योगपति, फिल्मवाले और आतंकवादी संगठनों के साथ राजनीति में भी अधिक खनकता है और वही पर बूच मारने की अधिक जरूरत है. कालाधन ढूंढने के लिए स्विट्जरलैंड या मॉरिशस जाने की जरूरत नहीं. कालाधन हमारे घर में है, उसे खोदकर निकाले तो भी मोदी का मिशन सफल हो जाएगा.'
लेख में आगे लिखा गया है कि मोदी के 'मन की बात' कड़क चाय की तरह है, लेकिन मुंबई में कालेधन पर लोग 'मन की बात' सुने इसलिए कई स्थानों पर मुफ्त में 'चाय-पानी' की व्यवस्था की गई.
'मारना, जलाना हमारी संस्कृति नहीं'
संपादकीय में लिखा गया है कि अगर कोई सिरफिरा सत्य बोलता है इसलिए उसे मारें, जलाएं यह बोलना हमारी संस्कृति में फिट नहीं बैठता. प्रधानमंत्री मोदी के प्रति 'ममत्व' होने के कारण शिवसेना ने आगे लिखा है, 'हम यह विनम्रता से कह रहे हैं! चाय की तुलना में केतली गरम... इसे ही कहते हैं!'