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कुछ इस तरीके से अपना वर्चस्व दिखाने में जुटे हैं शिवपाल

पवन पांडेय को पार्टी से 6 साल के लिए निकाले की वजह अनुशासनहीनता बताई गई है. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिस अनुशासनहीनता का आरोप पार्टी के एक विधायक आशु मलिक ने लगाया है वो शि‍वपाल यादव के करीबी हैं.

शिवपाल यादव शिवपाल यादव

उत्तर प्रदेश के समाजवादी कुनबे में मचा घमासान शांत होता नहीं दिख रहा है. शिवपाल यादव की कैबिनेट में दोबारा वापसी की संभावनाएं कम होती जा रही हैं तो प्रदेश सपा अध्यक्ष के तौर पर काबिज शिवपाल अपना सियासी वर्चस्व दिखाने में जुटे हैं. शि‍वपाल ने अब सीएम अखिलेश यादव के करीबी मंत्री पवन पांडेय को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

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पवन पांडेय को पार्टी से 6 साल के लिए निकाले की वजह अनुशासनहीनता बताई गई है. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिस अनुशासनहीनता का आरोप पार्टी के एक विधायक आशु मलिक ने लगाया है वो शि‍वपाल यादव के करीबी हैं. मलिक का आरोप है कि पवन पांडेय ने उन्हें थप्पड़ मारा था. पवन पांडेय को पार्टी से निकालने के बाद शिवपाल ने सीएम अखि‍लेश से यह भी अनुरोध किया है कि उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया जाए.

शिवपाल की वापसी नहीं

यूपी में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में जारी घमासान के दूसरे चरण में सीएम अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव समेत चार कैबिनेट मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. लेकिन इस बार शिवपाल की कैबिनेट में वापसी होती नहीं दिख रही. सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी साफ कर दिया है कि बर्खास्त मंत्रियों को फिर से बहाल करना है या नहीं, यह फैसला सीएम के साथ में है. अब तो शिवपाल ने लखनऊ में अपना सरकारी आवास भी खाली कर दिया है जो कैबिनेट मंत्री के नाते उन्हें मिला था.

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इसलिए अहम है पांडेय की बर्खास्तगी

शिवपाल को भी शायद अंदाजा हो गया कि पिछली बार की तरह इस बार कैबिनेट में उनकी वापसी नहीं होने जा रही है. ऐसे में उन्होंने पार्टी में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए अखि‍लेश के करीबी पवन पांडेय को सपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया. ये वही पवन पांडेय हैं जिन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर बीजेपी के दिग्गज लल्लू सिंह को मात दी थी. इस जीत से भगवा पार्टी के सबसे मजबूत किले में सेंध लगी थी. सीएम अखिलेश ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर पवन पांडेय को इसी जीत का ईनाम भी दिया था.

रामगोपाल को बाहर कराया

समाजवादी पार्टी के भीतर 'प्रोफेसर साहब' के तौर पर मशहूर रामगोपाल यादव की चचेरे भाई शिवपाल यादव से नहीं बनती है. रामगोपाल अखिलेश समर्थक माने जाते हैं. पार्टी के भीतर कलह के दौरान जब रामगोपाल ने अखिलेश के शान में कसीदे पढ़े और अमर सिंह पर हमला जारी रखा तो शिवपाल ने रामगोपाल की भी पार्टी से छुट्टी करा दी. शिवपाल अमर सिंह के समर्थक हैं और सीएम अखिलेश के साथ रामगोपाल ने भी अमर सिंह की समाजवादी पार्टी में दोबारा एंट्री का विरोध किया था. अखिलेश ने जब शिवपाल को दोबारा मंत्रिमंडल से बाहर किया तो शिवपाल अपने बड़े भाई मुलायम की मदद से राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर निकलवाने में कामयाब रहे.

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उदयवीर की हुई छुट्टी

समाजवादी पार्टी में कलह और सुलह की कोशिशों के बीच विधान परिषद सदस्य उदयवीर सिंह ने मुलायम सिंह को ऐसी चिट्ठी लिखी जो उनके लिए 'काल' बन गई. उदयवीर ने यह भी आरोप लगाया कि शिवपाल सिंह सीएम अखिलेश यादव से जलते हैं. एमएलसी ने अपनी चिट्ठी में यह भी नसीहत दी कि अगला चुनाव अखि‍लेश यादव की अगुवाई में लड़ा जाए. लेकिन उदयवीर को अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह ने पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया. सीएम के समर्थक उदयवीर अखिलेश यादव के स्कूल के दिनों के दोस्त रहे हैं. दोनों क्लास 6 से 12 तक धौलपुर मिलिट्री स्कूल में साथ पढ़े हैं.

ऐसे में सार्वजनिक तौर पर मुलायम या शिवपाल भले ही यह कहें कि पार्टी और परिवार में कोई विवाद नहीं है लेकिन यह सच है कि शिवपाल अपना वर्चस्व दिखाने के लिए कभी अपने खेमे के समर्थकों को सड़क पर लाकर ताकत दिखाते हैं तो अब एक-एक कर अखिलेश के करीबियों को निपटाने में लगे हुए हैं.

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