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सिख दंगा: सज्जन कुमार को SC से राहत नहीं, मेडिकल बोर्ड का गठन

सिख विरोधी दंगा मामला में दोषी करार कांग्रेस नेता रहे सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया.

1984 के सिख दंगों में शामिल है सज्जन कुमार का नाम (फाइल फोटो-ANI) 1984 के सिख दंगों में शामिल है सज्जन कुमार का नाम (फाइल फोटो-ANI)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:39 PM IST

  • सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
  • स्वास्थ्य पर मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश
  • बोर्ड के प्रस्ताव के बाद ही याचिका पर होगी विचार

सिख विरोधी दंगा मामला में दोषी करार कांग्रेस नेता रहे सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया. एम्स को सज्जन कुमार के स्वास्थ्य की जांच के लिए बोर्ड के गठन का आदेश दिया गया है. चार हफ्ते में बोर्ड को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में देनी है. तब तक सज्जन कुमार जेल में ही रहेंगे.

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इस मामले पर सिख दंगा पीड़ितों के वकील एचएस पूलखा ने कहा कि सज्जन कुमार बीते 10 वर्षों से जेल में है. आज उनके वकीलों ने कहा कि उनकी तबियत ठीक नहीं है इसलिए जमानत दी जाए. कोर्ट ने इस मामले पर एम्स से रिपोर्ट मांग ली है. इसके बाद ही बेल पर विचार किया जाएगा.

इससे पहले कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार सन 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के मामलों में अपनी जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. कुमार के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफडे ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका दायर की थी.

इस याचिका पर चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा था कि पीठ इस पर विचार करेगी. सिख विरोधी दंगों के मामले में कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 में दोषी करार दे दिया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

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क्या है पूरा मामला?

सज्जन कुमार और पांच अन्य ने 31 अक्टूबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में कैंट के राजनगर क्षेत्र में एक परिवार के पांच सदस्यों- केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या करने वाली भीड़ को उकसाने की कोशिश की थी. साल 2005 में न्यायमूर्ति जी.टी. नानावती आयोग की अनुशंसा पर सज्जन कुमार और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.

(IANS इनपुट के साथ)

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