
पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत से जोड़ने में सिलीगुड़ी कॉरिडोर और आस-पास के इलाके जिन्हें चिकेन नेक भी कहा जाता है, का रणनीतिक महत्व है. इसी इलाके में मौजूद तीस्ता नदी पर बना कोरोनेशन ब्रिज मरम्मत की बाट जोह रहा है. इस ब्रिज के जरिए ही उत्तर बंगाल पूर्वोत्तर भारत से जुड़ता है.
आजादी से पहले बना ये पुल अब खस्ताहाल हो गया है और इसमें बड़ी दरारें आ गई हैं. अंग्रेजों ने इस पुल को पूर्वोत्तर भारत को बंगाल से जोड़ने के लिए बनाया था. इस पुल से होकर ही सेना के भारी साजो-सामान पूर्वोत्तर आते-जाते रहते हैं. चिकेन नेक कॉरिडोर के नजदीक बने इस पुल को रणनीतिक और सामरिक महत्व हासिल है.
1937 में बनना शुरू हुआ ये पुल 1941 में चार लाख की लागत में बनकर तैयार हुआ था. 18 सितंबर 2011 में 6.9 की तीव्रता के भूकंप से इस पुल में दरार आ गया है.
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जादवपुर यूनिवर्सिटी ने अपने अध्ययन में इस पुल के बीच में 2.5 फीट का दरार पाया. इसके बाद बंगाल सरकार ने इस पुल से 18 हजार टन से भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी है. हालांकि ये रोक सिर्फ कागजों पर ही दिखता है. पश्चिम बंगाल के पर्यटन मंत्री गौतम देब का कहना है कि अब इस नदी पर एक नया पुल बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में राज्य सरकार ने अपनी भूमिका पूरी कर ली है, लेकिन केंद्र इस पर लगातार देरी कर रहा है.
अलीपुरद्वार के लोकसभा सांसद जॉन बारला और जलपाईगुड़ी सांसद डॉ जयंत राय ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए एक वैकल्पिक पुल के निर्माण की मांग की है.
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दार्जिलिंग सांसद राजू बिष्ट ने कहा है कि नए पुल की मांग को लेकर वे सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिले हैं और उन्हें ये घोषणा कर खुशी हो रही है कि मंत्रालय ने इस इलाके में नए पुल की मांग को स्वीकर कर लिया है.