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घायल जवान की बहन ने उठाए सवाल, पूछा- इलाज के लिए विदेश क्यों नहीं भेजते?

गुरनाम के घायल होने पर उनकी बहन ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार उन्हें इलाज के लिए विदेश क्यों नहीं भेजती? मंत्री जा सकते हैं लेकिन एक सैनिक क्यों नहीं?

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लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 7:11 PM IST

शुक्रवार देर शाम पाकिस्तान की ओर से आरएस पुरा सेक्टर में छोटे हथियारों से फिर फायरिंग की गई. भारतीय सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया. बीएसएफ के अनुसार जवाबी कार्रवाई में एक आतंकी और 7 पाकिस्तानी रेंजर्स मारे गए. हालांकि इस फायरिंग में बीएसएफ कांस्टेबल गुरनाम सिंह भी घायल हो गए. गुरनाम सिंह बीएसएफ के टॉप निशानेबाज हैं. वो अभी जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रहे हैं.

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गुरनाम के घायल होने पर उनकी बहन ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार उन्हें इलाज के लिए विदेश क्यों नहीं भेजती? मंत्री जा सकते हैं लेकिन एक सैनिक क्यों नहीं?

26 साल के गुरनाम सिंह एक बहादुर बीएसएफ के जवान हैं और छह साल पहले सीमा सुरक्षा बल में शामिल हुए थे. अपने परिवार में वो इकलौते कमाने वाले हैं. उनके माता-पिता उनकी शादी की भी योजना बना रहे थे. फायरिंग से एक दिन पहले उन्होंने अपनी बहन गुरजीत कौर को बताया था कि कैसे उन्होंने और उनके साथियों ने घुसपैठ के प्रयास को नाकाम कर दिया था. बीएसएफ के जवानों ने गुरुवार को इसी इलाके में छह आतंकवादियों के एक दल की घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश विफल कर दी थी.

गुरनाम अभी जम्मू के अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. गुरनाम के माता पिता जम्मू में ही मौजूद हैं. बीएसएफ के आईजी डीके उपाध्याय ने कहा कि मैं गुरनाम की बहादुरी की प्रशंसा करना चाहता हूं. 19- 20 अक्टूबर की रात जब आतंकी ने घुसने की कोशिश की थी, तो ये कांस्टेबल गुरनाम ही थे, जिन्होंने आतंकियों को भागने पर मजबूर किया था. पीओके में भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की 32 घटनाएं हो चुकी हैं.

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