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'डियर' पर भड़कने वाली ईरानी ने खुद को बताया 'आंटी नेशनल', फेसबुक पर लिखा इमोशनल मैसेज

ईरानी ने फेसबुक पर लिखा है, 'बड़ी होती लड़कियों को सिखाया जाता था कि लड़के अगर छेड़ते भी हैं तो उनका जवाब मत दो क्योंकि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा.'

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2016,
  • अपडेटेड 10:11 PM IST

मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी के साथ अपने 'ट्विटर वार' को अब फेसबुक पर ले आई हैं. 'डियर विवाद' पर स्मृति ने अपने फेसबुक पेज पर लंबा जवाब दिया है. दिलचस्प बात यह है अपने जवाब में अंत में उन्होंने खुद को 'आंटी नेशनल' बताया है.

बता दें कि बीते दिनों एक अंग्रेजी अखबार में स्मृति ईरानी को 'आंटी नेशनल' से संबोधित किया गया था. ईरानी ने फेसबुक पर लिखा है कि उनकी परवरिश मध्यम वर्गीय परिवार में हुई है. उन्होंने लिखा है, 'बड़ी होती लड़कियों को सिखाया जाता था कि लड़के अगर छेड़ते भी हैं तो उनका जवाब मत दो क्योंकि उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा. उन्होंने लड़कियों से कहा कि सिर झुकाने की जगह ऊपर देख कर बोलना शुरू करो.'

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केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लेकिन वह तब भी कुछ विद्रोही होती थीं, जो सवाल करती थीं कि क्यों नहीं बोलें, क्यों मुंह बंद रखें. बता दें है कि ट्व‍िटर पर अशोक चौधरी के स्मृति को 'डियर' कहकर संबोधि‍त किया था, जिस पर वह भड़क गईं. स्मृति इरानी ने अपनी पोस्ट में उस मानसिकता का जिक्र किया है, जिसमें औरत की मेहनत के बाद भी लोग उस पर आरोप लगाते हैं.

'...तब सलाह मिलती है- लोगों से घुलो-मिलो'
स्मृति ने अपने जवाब में आगे लिखा, 'लड़की बड़ी होती है, टीवी स्टार बनती है. लेकिन जब आप सफलता के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं, तब आपको सलाह दी जाती है कि पार्टी में जाओ, लोगों से घुलो-मिलो, तब काम मिलेगा.' अपने स्ट्रगल के दिनों और हासिल किए गए पदों का जिक्र करते हुए उन्होंने 'अनपढ़' शिक्षा मंत्री जैसे आरोपों का भी जवाब दिया.

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'आसान नहीं थी अमेठी की लड़ाई'
स्मृति ने अपने इमोशनल फेसबुक पोस्ट में लिखा है, 'जब आप सफल स्टार होती हैं, जब आप बेरोजगार नहीं होतीं और अपनी सफलता की ऊंचाई पर होती हैं, तब आपको लड़ने के लिए कठिन लड़ाई दी जाती है (चांदनी चौक और अमेठी की लड़ाई आसान नहीं थी मेरे दोस्तों).' स्मृति ईरानी ने इस पोस्ट के जरिए मीडिया पर भी निशाना साधा है. उन्होंने लिखा, 'राजनीति में पदार्पण से पहले आपको एक समझदारी भरी सलाह दी जाती है, जबतक आपके पास अपने पत्रकारों की मंडली न हो तबतक संपादकीय में किसी तरह के समर्थन की उम्मीद न करो.'

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