
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद सोनिया गांधी पार्टी को दोबारा से खड़ा करने के लिए लगातार सक्रिय हैं. कांग्रेस नेताओं के साथ सोनिया एक के बाद एक बैठकें कर रही हैं. आगामी तीन राज्यों के चुनाव की रणनीति के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ गुरुवार को बैठक के बाद अब शुक्रवार को शाम पांच बजे सोनिया गांधी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अपने आवास 10 जनपथ पर बैठक करेंगी.
सोनिया गांधी के आवास पर होने वाली बैठक में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी शामिल होंगे. माना जा रहा है इस बैठक में सोनिया गांधी राज्य सरकारों के कामकाज पर रिपोर्ट लेने के साथ-साथ राज्यों के घोषणा पत्र में किए गए वादे पर रिपोर्ट कार्ड मांगेंगी.
चर्चा में नेताओं का आपसी टकराव
सोनिया ने ऐसे वक्त में मुख्यमंत्रियों की यह बैठक बुलाई है जब मध्य प्रदेश, राजस्थान और पंजाब में कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी टकराव के चर्चे आम हो चुके हैं. मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के धड़ों के बीच प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर खींचतान चल रही है तो राजस्थान में मुख्यमंत्री गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने की बात लंबे समय से कही जा रही हैं. ऐसे ही पंजाब में अमरिंदर और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच भी टकराव रहा है. इसी के चलते सिद्धू ने कैप्टन सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था.
माना जा रहा है कि इस बैठक में सोनिया कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से शासन व्यवस्था और पार्टी संगठन को लेकर बातचीत कर सकती हैं. हालांकि सोनिया ने गुरुवार को पार्टी महासचिवों-प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों की बैठक में दो टूक कहा कि पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकारों को संवेदनशील, जवाबदेह और पारदर्शी शासन की मिसाल पेश करनी होगी.
इसके अलावा सोनिया गांधी ने यह भी कहा था कि कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारों को अपने घोषणापत्र में किए वादों को पूरा करना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम जनता का विश्वास खो देंगे और नतीजे हमारे विपरीत हो सकते हैं.