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...जब सोनिया गांधी ने 13 साल पहले ठुकराई थी पीएम की कुर्सी

13 साल पहले सोनिया ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली बीजेपी के हाथों से सत्ता छीनकर कांग्रेस की वापसी कराई थी. सोनिया की अगुवाई में छह साल के संघर्ष के बाद पार्टी ने 2004 में सत्ता में वापसी की.

सोनिया गांधी सोनिया गांधी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

राहुल गांधी अब कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए हैं. सोनिया गांधी अब रिटायर होने जा रही हैं. उनके सियासी सफर पर नजर डालें तो हमें कई उतार चढ़ाव देखने को मिलेंगे. पति राजीव गांधी की मौत के बाद सोनिया गांधी ने राजनीति में न आने की कसम खाई थी, लेकिन कांग्रेस की बिगड़ती हालत और पार्टी नेताओं के दबाव में उन्होंने सियासत में कदम रखा. 1998 में कांग्रेस की कमान सोनिया के हाथों में सौंपी गई.

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13 साल पहले सोनिया ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली बीजेपी के हाथों से सत्ता छीनकर कांग्रेस की वापसी कराई थी. सोनिया की अगुवाई में छह साल के संघर्ष के बाद पार्टी ने 2004 में सत्ता में वापसी की. सोनिया के प्रधानमंत्री बनने की चर्चा जोरों पर थी, पर उन्होंने पीएम पद की कुर्सी ठुकरा दी थी.

सोनिया गांधी, राजीव से शादी करके ऐसे देश आई थीं, जहां के माहौल और भाषा से वो पूरी तरह अनजान थी. शादी के कुछ साल ही गुजरे थे कि 1991 में उनकी मांग का सिंदूर उजड़ गया. राजीव गांधी की हत्या कर दी गई. राजीव अपने पीछे सोनिया और दो मासूम बच्चे छोड़ गए थे.

सोनिया गांधी पति राजीव गांधी और सास इंदिरा गांधी की मौत को करीब से देखने के बाद सियासत से खुद को अलग-थलग कर लेती हैं और शोक में डूब जाती हैं. सोनिया खुद को और अपने बच्चों को राजनीति से दूर रखना चाहती थीं, लेकिन वक्त और सियासत ने ऐसी करवट ली कि उन्हें मुश्किल हालात में कांग्रेस की कमान अपने हाथों में लेना पड़ता है.

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कब बनी थी कांग्रेस की अध्यक्ष

सोनिया 1991 में पति राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी जगह लेने से इनकार करती हैं. बाद में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी के कहने पर कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए रजामंदी जाहिर करती हैं. सोनिया गांधी मार्च 1998 में पार्टी अध्यक्ष बनती हैं.

सोनिया को देश में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे मजबूत नेताओं के सामने खड़ा होना पड़ता है. विदेशी मूल की सोनिया भारतीय सियासत में एक नई तस्वीर के साथ उतरती हैं. देश ने उनका एक नया रूप देखा. साड़ी पहने और सर पे पल्लू डाले सादगी से भरी हुई सोनिया गांधी सियासी सफर पर निकल पड़ती हैं. इसके बाद सत्ता से बाहर कांग्रेस में जान आने लगती है. 2004 में उनके नेतृत्व में पार्टी की जीत होती है. सोनिया यूपीए की चेयरमैन बनीं और दस साल तक कांग्रेस सत्ता में रहती है.

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