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केरल सरकार ने सबरीमाला को बताया सेकुलर मंदिर, विरोध में उतरी BJP

सबरीमाला मंदिर में 16 नवंबर से मंडला पूजा आरंभ हो रही है जो 41 दिनों तक चलेगी. सरकार ने इसकी तैयारी में मंगलवार को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है.

फाइल फोटो (रॉयटर्स) फाइल फोटो (रॉयटर्स)
रविकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:41 AM IST

केरल सरकार ने बीजेपी नेता टीजी मोहनदास की उस याचिका के खिलाफ हाई कोर्ट में अर्जी लगाई है जिसमें गैर-हिंदुओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की गई है.  

केरल सरकार ने अपनी अर्जी में कहा है कि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि सबरीमाला एक सेकुलर मंदिर है, जिसमें धर्म के आधार पर किसी के प्रवेश पर रोक नहीं है. अर्जी में कहा गया है, 'शनिधाम में वावर नाडा सदियों से स्थित है जहां मुसलमान सबरीमाला मंदिर के साथ-साथ पूजा-पाठ करते रहे हैं. भगवान अयप्पा के श्रद्धालु भी जाति और मजहब से उठ कर इमुरेली स्थित वावर मस्जिद में इबादत करते रहे हैं. उसके बाद ही सबरीमाला मंदिर में पूजा की परंपरा है.'

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केरल सरकार ने हाई कोर्ट में दी अपनी अर्जी में मांग की है कि बीजेपी नेता की याचिका पर कोई फैसला लेने से पहले वक्फ बोर्ड, मुस्लिम संगठन, वावर ट्रस्ट और आदिवासी संगठनों को अहम पक्षकार बनाया जाना चाहिए.

उधर, मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने सबरीमाला मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश को लेकर मंगलवार को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है. 16 नवंबर को मंदिर के कपाट फिर खुलेंगे. बैठक शाम साढ़े पांच बजे रखी गई है जिसमें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और उसके फैसले के मद्देनजर आगे की योजना बनाई जाएगी.

बैठक में सर्वदलीय बैठक के बारे में भी फैसला लिया जाएगा. केरल सरकार सभी दलों के साथ बातचीत कर कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रही है. इस बार मंदिर के कपाट 41 दिनों के लिए खुलेंगे जिसमें 16 नवंबर से मंडला पूजा आरंभ होगी.

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