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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लेकर अलग था मोदी का प्लान, नहीं मिला था पहाड़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' (Statue Of Unity) को देश को समर्पित किया.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (फोटो क्रेडिट, PMO INDIA) स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (फोटो क्रेडिट, PMO INDIA)
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 31 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण किया. ये मूर्ति दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है. प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम के दौरान उस किस्से का जिक्र किया, जब उन्हें इसका आइडिया आया. पीएम ने बताया कि इस प्रतिमा को लेकर उनका प्लान कुछ और था.

पहाड़ को तराशकर मूर्ति बनाना चाहता था

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प्रधानमंत्री बोले कि आज मुझे वो पुराने दिन याद आ रहे हैं, जी भरकर बहुत कुछ कहने कामन भी कर रहा है. किसानों ने इन प्रतिमा के निर्माण को आंदोलन बना दिया. जब मैंने ये विचार आगे रखा था, तो शंकाओं का वातावरण बना था.

प्रधानमंत्री ने बताया कि जब ये कल्पना मन में चल रही थी, तब मैं सोच रहा था कि यहां कोई ऐसा पहाड़ मिल जाए जिसे तराशकर मूर्ति बना दी जाए. लेकिन वो संभव नहीं हो पाया, फिर इस रूप की कल्पना की गई.

प्रधानमंत्री ने कहा कि 31 अक्टूबर, 2010 को मैंने इसका विचार दुनिया के सामने रखा था, करोड़ों भारतीयों की तरह मेरे मन में एक ही भावना था कि जिस महापुरुष ने देश को एककरने के लिए इतना बड़ा काम किया उसे वो सम्मान मिलना चाहिए जिसका वो हकदार है.

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PM बोले कि जब मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर इसकी कल्पना की थी, तो कभी अहसास नहीं था कि प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे ये पुण्य काम करने का मौका मिलेगा. इस काम में जो गुजरात की जनता ने मेरा साथ दिया है, उसके लिए मैं बहुत आभारी हूं.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारे में खास बातें...

- मूर्ति की लंबाई 182 मीटर है और यह इतनी बड़ी है कि इसे 7 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है. बता दें कि 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' ऊंचाई में अमेरिका के 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' (93 मीटर) से दोगुना है.

- इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से आप सरदार पटेल की छाती पहुंचेंगे और वहां से आप सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकेंगे और खूबसूरत वादियों का मजा ले सकेंगे. सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्थाकी जाएगी.

- आपको बता दें, यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा. यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है. इस मूर्ति के निर्माण मेंभारतीय मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है. इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया.

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- बता दें, इसके लिए मूर्ति के 3 किलोमीटर की दूरी पर एक टेंट सिटी भी बनाई गई है. जो 52 कमरों का श्रेष्ठ भारत भवन 3 स्टार होटल है. जहां आप रात भर रुक भी सकते हैं. वहीं स्टैच्यू के नीचे एक म्यूजियम भी तैयार किया गया है, जहां पर सरदार पटेल की स्मृति सेजुड़ी कई चीजें रखी जाएंगी.

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