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सरदार पटेल न होते तो आज शिवभक्तों को सोमनाथ वीजा लेकर जाना पड़ता: मोदी

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी बनने के साथ आज भारत के वर्तमान ने अपने इतिहास के एक स्वर्णिम पृष्ठ को उजागर करने का काम किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- एएनआई) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- एएनआई)
रविकांत सिंह
  • नर्मदा,
  • 31 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को गुजरात के नर्मदा के केवड़िया में सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन किया. इस मौके पर एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल के काम को पल भर के लिए याद करिए तो पता चलेगा कि अगर वे न होते तो गिर के शेर देखने, सोमनाथ में शिवभक्तों को पूजा करने और चारमिनार देखने के लिए वीजा लेकर जाना पड़ता.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तब भारत ने न सिर्फ अपने लिए एक नया इतिहास रचा है, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का गगनचुंबी आधार भी रखा है. प्रधानमंत्री ने कहा, आज पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है, नौजवान रन फॉर यूनिटी कर रहे हैं. ये क्षण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है. इतिहास के एक विराट व्यक्तित्व को उचित स्थान देने का क्षण है. आज भारत के वर्तमान ने अपने इतिहास में एक स्वर्णिम पुरुष को उबारने का काम किया है. आज धरती से आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है. ये भारत का एक नया इतिहास है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जब मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में इसकी कल्पना की थी तो ऐसा सोचा नहीं था कि प्रधानमंत्री के रूप में एक दिन मुझे ही ये पुण्य काम करने का मौका मिलेगा. आज का दिन इतिहास से कोई मिटा नहीं पाएगा. लोहे का पहला टुकड़ा मुझे सौंपा गया. अहमदाबाद जिस ध्वज को फहराया गया वो भी मुझे उपहारस्वरूप दिया गया. देशभर के गांवों से, किसानों से मिट्टी मांगी गई थी. खेती में काम आने वाले औजार के लोहे दान करने को कहा गया था. देश के लोगों ने इसे जनआंदोलन बना दिया. जब ये विचार मैंने रखे थे, तो कई आशंकाएं मेरे सामने रखी गईं लेकिन सब दूर हो गईं.

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प्रधानमंत्री ने कहा, दुनिया की ये सबसे उंची प्रतिमा पूरी दुनिया और हमारी भावी पीढ़ियों को सरदार साहब के साहस, सामर्थ्य और संकल्प की याद दिलाती रहेगी. सरदार साहब के इसी संवाद से, एकीकरण की शक्ति को समझते हुए उन्होंने अपने राज्यों का विलय कर दिया. देखते ही देखते, भारत एक हो गया. सरदार साहब के आह्वान पर देश के सैकड़ों रजवाड़ों ने त्याग की मिसाल कायम की थी. हमें इस त्याग को भी कभी नहीं भूलना चाहिए.

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