
उत्तर प्रदेश में सरकार के बदलते ही और भाजपा के सत्ता में आने के तुरंत बाद अयोध्या में लंबित राम मंदिर निर्माण को लेकर तैयारी तेज हो गई है. इसकी वजह से राजस्थान के भरतपुर में स्थित बंशी पहाड़पुर से सैंड स्टोन राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या भेजना शुरू कर दिया गया है.
भरतपुर में स्थित बंशी पहाड़पुर का पत्थर गुलाबी रंग का होता है और पानी में रहने के साथ यह पत्थर ज्यादा मजबूत, टिकाऊ और सुंदर होता जाता है. इनका इस्तेमाल देश की अनेक ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण के लिए किया गया है. लाल किला, बुलंद दरवाजा सहित देश के अनेकों किलों का निर्माण इसी पत्थर से हुआ था जो हजारों वर्षों से ऐसे ही खड़े हैं. इन पत्थरों का रंग भी नहीं बदलता है और बारिश के पानी से इनमें और ज्यादा निखार आता है.
भरतपुर गए थे विहिप के महामंत्री
उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद विश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चम्पत राय भरतपुर गए थे और उन्होंने बंशी पहाड़पुर के पत्थर व्यापारियों से बात कर पत्थर को अयोध्या भेजने का ऑर्डर दिया है जो लगातार जारी है.
हर माह 25 टन पत्थर जाएगा
ऑर्डर के मुताबिक करीब 1350 टन सैंड स्टोन पत्थर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पहुंचना है, इसलिए प्रतिमाह एक ट्रॉला पत्थर अयोध्या के लिए भेजा जायेगा. एक ट्रॉला में करीब 25 टन पत्थर आता है.
इस बार बंशी पहाड़पुर के पत्थर व्यवसायी हरिओम गुप्ता को पत्थर भेजने का ठेका दिया गया है, जिनका कहना है की अयोध्या के लिए पत्थर पहले भी काफी मात्रा में भेजा जा चूका है. लेकिन बाद में रोक लगने के बाद पत्थर भेजने का काम बंद कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश में भाजपा के आते ही फिर से पत्थर भेजने के ऑर्डर मिले हैं.
बंशी पहाड़पुर का पत्थर न केवल देश, बल्कि विदेश में भी ख्यातिप्राप्त है, क्योंकि यह पत्थर पानी में होता है और अपनी गुलाबी रंग के साथ सुंदरता के लिए प्रसिद्द है. बंशी पहाड़पुर भरतपुर के रूपवास बयाना उपखंड क्षेत्र में स्थित है, जहां रियासतकालीन बंध बारैठा स्थित है. वहीं यह पहाड़ स्थित है, जिसके चारों तरफ पानी भरा रहता है. यूपी में योगी सरकार बनने के बाद वीएचपी ने चंदा के रूप में राम मंदिर के लिए पत्थर लाने की छूट मांगी थी. इससे पहले 2005 में अयोध्या में राम मंदिर के लिए बाहर से पत्थर लाने पर पाबंदी लगा दी गई थी. तब भी राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवारा से तराशे गए पत्थर भेजे गए थे. इस बार पत्थर वहीं अय़ोध्या में रामसेवकपुरम में पत्थरों को तराशने का काम किया जा रहा है.