
केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद में जानकारी दी कि 2 साल के भीतर देशभर में 26600 छात्रों ने आत्महत्या की है. राजस्थान के कोटा में बीते साल छात्र-छात्राओं की आत्महत्या के मामले सुर्खियों में रहे थे. सरकार ने साल 2014 से 2016 तक के आंकड़े सदन में पेश किए हैं.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने आज राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बताया कि साल 2016 में 9,474 छात्रों ने, साल 2015 में 8,934 छात्रों ने और साल 2014 में 8,068 छात्रों ने आत्महत्या की. आंकड़ों से साफ है कि साल 2014 के बाद साल दर साल छात्रों की खुदकुशी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.
हंसराज अहीर ने बताया कि साल 2016 में छात्रों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा 1,350 मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए. पश्चिम बंगाल में ऐसे 1,147 मामले, तमिलनाडु में 981 मामले और मध्य प्रदेश में 838 मामले दर्ज हुए हैं. साल 2015 में महाराष्ट्र में आत्महत्या के 1,230 मामले, तमिलनाडु में 955 मामले, छत्तीसगढ़ में 730 मामले और पश्चिम बंगाल में 676 मामले हुए हैं.
कोटा बना छात्रों की कब्रगाह
कोचिंग हब कहे जाने वाले कोटा बीते साल छात्रों के लिए कब्रगाह बन गया था. यहां साल 2012 में 11, 2013 में 26, 2014 में 14, 2015 में 17 और 2016 में 17 से अधिक छात्र मौत को गले लगा चुके हैं. इनमें से ज्यादातर छात्र प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी में जुटे थे और मानसिक तनाव उनकी मौत की अहम वजह बना था. बता दें हर साल सैकड़ों छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए कोटा का रुख करते हैं.