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ISRO वैज्ञानिक करते हैं पूजा, रूसी करते हैं पेशाब, जानिए दुनियाभर के वैज्ञानिकों के अंधविश्वास

इसरो वैज्ञानिक हर लॉन्च से पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर रॉकेट पूजा करते हैं. सिर्फ भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ही नहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लोग मूंगफली खाते हैं. रूसी वैज्ञानिक बस के पहिए पर पेशाब करते हैं. दुनियाभर के वैज्ञानिक अंधविश्वास में भरोसा करते हैं. टोटके करते हैं. आइए...जानते हैं दुनियाभर के वैज्ञानिकों की अजीबो-गरीब हरकतों के बारे में...

अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले बस के पहिए पर पेशाब करते रूसी कॉस्मोनॉट. (फोटोःTwitter_Ri_Science) अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले बस के पहिए पर पेशाब करते रूसी कॉस्मोनॉट. (फोटोःTwitter_Ri_Science)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 2:42 PM IST

क्या ये संभव है कि वैज्ञानिक अंधविश्वासी हो? कहते हैं, किसी बड़े या छोटे काम से पहले भगवान की पूजा करनी चाहिए. लेकिन जब विज्ञान में देश का परचम लहराने वाले वैज्ञानिक ऐसा करते हैं तो सवाल उठता है कि क्या ये अंधविश्वास है या आस्था. वहीं, भारत रत्न से सम्मानित वैज्ञानिक सीएनआर राव कहते हैं कि उन्हें इसरो के पूजा की परंपरा ठीक नहीं लगती. लेकिन ये इसरो वैज्ञानिकों का अपना निर्णय है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 15 जुलाई को Chandrayaan-2 लॉन्च करने वाला है.

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इसरो वैज्ञानिक हर लॉन्च से पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर रॉकेट पूजा करते हैं. वहां रॉकेट का छोटा मॉडल चढ़ाते हैं, ताकि उन्हें उनके मिशन में सफलता मिले. सिर्फ भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ही नहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा, रूसी वैज्ञानिक समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक अंधविश्वास में भरोसा करते हैं. टोटके करते हैं. आइए...जानते हैं दुनियाभर के वैज्ञानिकों के अंधविश्वास के बारे में.

रूसी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अंधविश्वास

स्पेस में जाने से पहले बस के पहिए पर पेशाब

रूसी अंतरिक्ष यात्री यान में सवार होने के पहले जो बस उन्हें लॉन्चपैड तक ले जाती है, उसके पिछले दाहिने पहिए पर पेशाब करते हैं. ये कहानी शुरु हुई 12 अप्रैल 1961 को जब यूरी गैगरीन अंतरिक्ष में जाने वाले थे. वे यात्रा से पहले बेहद बेचैन थे. उन्हें बहुत तेज पेशाब लगी थी. उन्होंने बीच रास्ते में बस रुकवा कर पिछले दाहिने पहिए पर पेशाब कर दिया. उनका मिशन सफल रहा. तब से यह टोटका चल रहा है.

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अंतरिक्ष यात्रा से पहले बजते हैं रोमांटिक गाने

अंतिरक्ष में जाने से पहले रूस में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बजाया जाता है संगीत. इसकी शुरुआत भी यूरी गैगरीन ने की थी. रॉकेट में बैठने के बाद उन्होंने मिशन कंट्रोल सेंटर से कोई संगीत बजाने को कहा. कंट्रोल सेंटर ने उनके लिए रोमांटिक गाने बजाए. तब से लेकर आज तक सभी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वही गाने बजते हैं जो गैगरीन के लिए बजे थे.

वो रॉकेट नहीं देखते अंतरिक्ष यात्री जिससे उन्हें जाना होता है

रूसी अंतरिक्ष यात्री उस रॉकेट को तब तक नहीं देखते, जब तक वे उसमें बैठ नहीं जाते. हालांकि उनकी ट्रेनिंग सिमुलेटेड रॉकेट में कराई जाती है.

गैगरीन के गेस्ट बुक में करना होता है सिग्नेचर

यूरी गैगरीन यात्रा से पहले अपने ऑफिस में रखे गेस्ट बुक में हस्ताक्षर करके अंतरिक्ष में गए थे. तब से इसे लकी चार्म मानते हुए सभी अंतरिक्ष यात्री गैगरीन के गेस्ट बुक में सिग्नेचर करके यात्रा पर निकलते हैं.

हर सफल लॉन्च के बाद एक पौधा लगाया जाता है

रूस का बैकोनूर कॉस्मोड्रोम दुनिया का पहला और सबसे बड़ा लॉन्चपैड है. 50 सालों से ज्यादा समय से हर सफल लॉन्चिंग के बाद एक पौधा लगाया जाता है. बैकोनूर में इसे एवेन्यू ऑफ हीरोज़ कहते हैं.

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हादसा न हो इसलिए कूलिंग पाइप पर लिखते हैं महिला का नाम

अंतरिक्ष यात्रा पर जाने से पहले रूसी कॉस्मोनॉट कूलिंग पाइप पर किसी महिला का नाम लिखते है ताकि हादसा न हो. कहते हैं कि एक बार किसी ने ये काम नहीं किया था इसलिए हादसे में 47 लोगों की मौत हो गई थी.

24 अक्टूबर को लॉन्च नहीं होता कोई रॉकेट

24 अक्टूबर 1960 और 1963 में बैकोनूर में लॉन्च से ठीक पहले दो बड़े हादसे हुए. इन हादसों में सैकड़ों लोगों की जान गई. इसलिए 24 अक्टूबर को कोई लॉन्चिंग नहीं होती. 

तिरुपति बालाजी मंदिर में पूजा करने गए थे इसरो चीफ के. सिवन. (फोटोःISRO)

ISRO की पूजा, नई शर्ट, बेचैनी और अंधविश्वास

  • मंगलयान प्रोजेक्ट के समय जब भी मंगलयान को एक से दूसरी कक्षा में डाला जाता था, तब मिशन निदेशक एस अरुणनन मिशन कंट्रोल सेंटर से बाहर आ जाते थे. उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार से इंटरव्यू में कहा था कि वे ये प्रक्रिया देखना नहीं चाहते. आप इसे अंधविश्वास मानो या कुछ और पर इससे मिशन सफल हुआ था. मंगलयान मिशन के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसरो गए. प्रोटोकॉल था कि जब तक पीएम इसरो में रहेंगे कोई व्यक्ति मिशन कंट्रोल सेंटर के अंदर-बाहर नहीं आ जा सकेगा. लेकिन अरुणनन को उनकी आदत की वजह से अंदर-बाहर आने-जाने की विशेष अनुमति मिली थी.
  • इसरो वैज्ञानिक हर लॉन्च से पहले तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर रॉकेट पूजा करते हैं. वहां रॉकेट का छोटा मॉडल चढ़ाते हैं.
  • इसरो के एक पूर्व निदेशक हर रॉकेट लॉन्च के दिन एक नई शर्ट पहनते थे. अब भी ऐसा करने वाले कई वैज्ञानिक हैं.
  • इसरो के सभी मशीनों और यंत्रों पर विभुती और कुमकुम से त्रिपुंड बना होता है, जैसा कि भगवान शिव के माथे पर दिखता है.

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नासा के जेपीएल कालटेक लैब में लकी पीनट के बारे में बताती नासा वैज्ञानिक.(फोटोः NASA JPL CALTECH)

अमेरिकी एजेंसी NASA में 1960 से चल रही है मूंगफली खाने की प्रथा

  • अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA जब भी कोई मिशन लॉन्च करती है तब जेट प्रोप्लशन लेबोरेटरी में बैठे वैज्ञानिक मूंगफली खाते हैं. कहा जाता है कि 1960 के दशक में रेंजर मिशन 6 बार फेल हुआ. सातवें मिशन सफल हुआ तो कहा गया कि लैब में कोई वैज्ञानिक मूंगफली खा रहा था इसलिए सफलता मिली. तब से मूंगफली खाने की प्रथा चली आ रही है.
  • लॉन्च से पहले नाश्ते में सिर्फ अंडा भुर्जी और मांस मिलता है. ये प्रथा पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री एलन शेफर्ड और जॉन ग्लेन के समय से चली आ रही है.

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