Advertisement

सवर्ण आरक्षण का समर्थन कर मोदी के बिल में खामियां गिना गए कपिल सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा कि देश में जब मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया तब उसे 10 साल पहले से लागू करने की तैयारी करनी पड़ी थी. लेकिन मोदी सरकार ने कैसे महज 24 घंटे के अंदर संविधान में इतने महत्वपूर्ण संशोधन और उसे लागू करने की तैयारी कर ली है?

कपिल सिब्बल, नेता, कांग्रेस कपिल सिब्बल, नेता, कांग्रेस
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 8:36 PM IST

केन्द्र सरकार द्वारा संसद में लाए गए सवर्ण आरक्षण विधेयक पर राज्यसभा मे चर्चा के दौरान पूर्व केन्द्रीय कानून मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने विधेयक का समर्थन करते हुए बिल में मौजूद कई खामियों को सदन के सामने रखा. कपिल सिब्बल ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने महज राजनीतिक लाभ के लिए बिना सोच समझ और पर्याप्त मेहनत किए एक ऐसा बिल पेश किया है जिसको कानून बनाने में गंभीर खामियां मौजूद हैं.

Advertisement

सिब्बल ने गिनाई तीन चुनौतियां

1. बिल लाने के लिए दिमाग नहीं लगाया गया

2. बिल लाने से पहले संवैधानिक स्थिति को नहीं परखा गया

3.संसद से बिल पास हो जाने के बाद इसे लागू करने की बारीकियों को नजरअंदाज किया गया

कपिल सिब्बल ने सदन में पूछा कि केन्द्र सरकार संविधान के महत्वपूर्ण अंग में संशोधन करने जा रही है लेकिन क्या उसने कोई आंकड़ा एकत्र किया है? अलग-अलग राज्यों में क्या सामाजिक स्थिति है, किस राज्य में कितने दलित, कितने कितने ओबीसी अथवा कितने आर्थिक तौर पर कमजोर लोग हैं? कपिल सिब्बल ने कहा कि देश में जब मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया गया तब उसे 10 साल पहले से लागू करने की तैयारी करनी पड़ी थी. लेकिन मोदी सरकार ने कैसे महज 24 घंटे के अंदर संविधान में इतने महत्वपूर्ण संशोधन और उसे लागू करने की तैयारी कर ली है?

Advertisement

राज्य सभा में संशोधन विधेयक पर अपना पक्ष रखते हुए सिब्बल ने पूछा कि केन्द्र सरकार को जवाब देने की जरूरत है कि उसने कैसे एक दिन के अंदर यह आंकलन कर लिया कि 8 लाख रुपये से कम आय वाला व्यक्ति गरीब है और उसे आरक्षण की जरूर है. क्या इस आंकलन के लिए सरकार के पास कोई आधार है?

जब नौकरी ही नहीं तो देंगे क्या?

वहीं अपना पक्ष रखते हुए सिब्बल ने कहा कि देश में जितनी नौकरी पैदा नहीं हो रही उससे ज्यादा नौकरी खत्म हो रही है और यह डिजिटल होते भारत की सच्चाई है. सिब्बल ने बताया कि 2001-2019 तक कुल नौकरी 7.3 फीसदी रही और इस हिसाब से सरकार द्वारा नई नौकरी प्रति वर्ष 0.4 फीसदी पैदा की गई. लिहाजा, नई नौकरी और खत्म होती पुरानी नौकरी की ऐसी स्थिति के बीच किस नौकरी को बतौर आरक्षण सरकार देने जा रही है. आंकड़ों का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में 45,000 नौकरी दी. लिहाजा, क्या वह अब 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान महज 4,500 लोगों को नौकरी देने के लिए कर रहे हैं.

गरीब नहीं, सामान्य वर्ग की 99 फीसदी आबादी को मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण!

सिब्बल ने कहा कि देश नई नौकरी नहीं पैदा कर रहा है. इस देश को आरक्षण नहीं नौकरी चाहिए और नौकरी सिर्फ विकास से आएगी. 7.3 फीसदी की दर से ग्रोथ है फिर भी नौकरी नहीं पैदा हो रही है. सीबीआई, ईडी जैसी जांच एजेंसी को सबके पीछे लगा दिया है तो निवेश कौन और कैसे लाएगा. लिहाजा, सरकार बताए कि उनके पास क्या आंकड़ा है. आखिर क्यों सरकार संविधान में ये संशोधन लेकर आई है. सरकार साफ करे कि क्या संविधान में संशोधन करने का यह तरीका सही है? सिब्बल ने कहा कि जब देश में एससी, एसटी और ओबीसी को ही आरक्षण के मुताबिक नौकरी नहीं दी जा पा रही है तो वह अब 10 फीसदी सामान्य क्ष्रेणी को नौकरी देने का ऐलान कर क्या करने जा रही है? सिब्बल ने कहा कि महज संशोधन बिल लाकर मोदी सरकार बेहद खुश हो रही है लेकिन एक सच्चाई से वह मुंह मोड़ रही है कि असली खुशी जनता को मिलनी चाहिए और क्या उनके इस बिल से जनता को खुशी मिलेगी?

Advertisement

बिल में क्या है?

आर्टिकल 15 में सोशियली एंड एजुकेशनली बैकवर्ड क्लासेज को आरक्षण देने का प्रावधान है. अब केन्द्र सरकार ये आरक्षण इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन के लिए लेकर आ रही है. क्या मोदी सरकार क्लास से हटकर सेक्शन की तरफ जा रही है. सिब्बल ने पूछा कि जिस दलित परिवार को उसके श्रेणी में आरक्षण का फायदा नहीं मिलता और उसकी प्रति माह आय महज 5,000 रुपये से 15,000 रुपये है उसे इस 10 फीसदी की नई श्रेणी के तहत आरक्षण दिया जाएगा. यदि नहीं तो कैसे 5,000-15,000 रुपये महीना कमाने वाले आदमी वीकर सेक्शन नहीं है और 60,000 रुपये महीना कमाने वाला आदमी वीकर सेक्शन है.

क्लास और सेक्शन में पेंच

सिब्बल ने कहा कि हर एक दलित और ओबीसी को रिजर्वेशन का लाभ नहीं मिलता है. लेकिन उसे सेक्शन में शामिल नहीं किया गया क्योंकि वह क्लासेज में है. यह संविधान का विषय है और सरकार को इसका जवाब देने का जरूरत है.

संविधान के सामने 4 चुनौतिया

क्या रिजर्वेशन इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन को आरक्षण दिया जा सकता? सिब्बल ने कहा कि इंदिरा साहनी केस को ध्यान में रखते हुए मंडल कमीशन के जरिए जब 27 फीसदी ओबीसी को आरक्षण दिया गया तब उसमें आरक्षण के तीन प्रावधान शामिल थे. इनमें 17 फीसदी आरक्षण पिछड़ी जातियों को देने और उसमें भी ज्यादा बैकवर्ड लोगों को प्राथमिकता देने का प्रावधान था. सुप्रीम कोर्ट ने इसे मान लिया. लेकिन मंडल कमीशन के तीसरे प्रावधान में 10 फीसदी आरक्षण आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों को देने का था और इस प्रावधान को कोर्ट ने नामंजूर कर दिया था. लिहाजा, मोदी सरकार का यह बिल भी कोर्ट में इस आधार पर गंभीर चुनौती का सामना करेगा. सिब्बल ने कहा कि जह सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच यह फैसला ले चुकी है तो क्या अब सरकार किस कानूनी सलाहकार की सलाह पर ऐसा प्रावधान लेकर आई है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement