
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अयोध्या विवाद मामले पर फैसला सुनाने के दौरान पूर्व राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन के हवाले से कहा कि धर्मों के टकराव की समस्या के हिंदू समाधान को भविष्य में स्वीकार करने की संभावना काफी निश्चित मालूम होती है.
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही सम्राट अशोक के शब्दों और उन 2 पूर्व न्यायाधीशों के शब्दों का हवाला दिया जिन्होंने अयोध्या विवाद से संबंधित मुद्दों को सुना था.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण के बहुमत वाले फैसले में धर्म के टकराव के विषय पर गौर करते हुए राधाकृष्णन का उनकी पुस्तक 'द हिन्दू व्यू आफ लाइफ' से हवाला दिया गया.
बेंच ने वर्ष 1994 के इस्माइल फारूकी मामले में बहुमत वाला फैसला लिखने वाले जस्टिस जेएस वर्मा और 2010 में अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ में शामिल रहे न्यायमूर्ति एसयू खान के शब्दों को भी याद किया.
कोर्ट ने कहा कि सम्राट अशोक ने विश्व को कई संदेश दिए थे जो पत्थरों पर उत्कीर्ण हैं जो दूसरे धर्मो के प्रति सम्मान के भाव को दर्शाते हैं.