
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक के पूर्व मंत्री और खनन कारोबारी जनार्दन रेड्डी के खिलाफ दर्ज खनन मामलों में 6 साल बाद भी चार्जशीट दाखिल करने में विफल रहने पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की खिंचाई की है. बता दें कि अवैध खनन के आरोपित जनार्दन रेड्डी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर बेल्लारी जाने की इजाजत मांगी थी. रेड्डी ने बेल्लारी जाने के लिए ससुर की बीमारी का हवाला दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने जर्नादन रेड्डी को 8 जून से दो हफ्तों के लिए बेल्लारी जाने की इजाजत दे दी ताकि वो अपने बीमार ससुर की देखभाल कर सकें. लेकिन कोर्ट ने 2015 के आदेश में फिलहाल बदलाव करने से इनकार कर दिया. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने रेड्डी को 2015 में अवैध खनन मामले में जमानत देते हुए उनके गृह नगर बेल्लारी और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर व कडप्पा जाने पर रोक लगा दी थी.
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई के प्रति सख्त रुख अपनाया. कोर्ट ने इस मामले में अभी तक आरोप तय नहीं होने का ठोस जवाब सीबीआई से मांगा. जस्टिस इंदिरा बनर्जी और अजय रस्तोगी की पीठ ने सीबीआई के वकील से कहा, ‘आरोपों लगे 6 साल हो गए लेकिन वो अभी तय नहीं हुए, क्यों? हम जानना चाहेंगे.’
सीबीआई के वकील ने कहा कि रेड्डी मुकदमे के विभिन्न चरणों में आवेदन दायर कर कार्यवाही में देरी कर रहे हैं. मामले में एक चार्जशीट दाखिल कर दी गई है, लेकिन अभी आरोप तय होना बाकी है. और, बेल्लारी जाने के लिए शीर्ष अदालत में यह उनका सातवां आवेदन है.
वहीं जर्नादन रेड्डी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील एस गणेश ने पलटवार करते हुए कहा कि रेड्डी के खिलाफ जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन करने की कोई शिकायत नहीं आई है. उनके मुताबिक, ‘रेड्डी पहले तीन सप्ताह के लिए बेल्लारी गए थे लेकिन उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं है. उनके ससुर की बाईपास सर्जरी हुई है और इसका मेडिकल रिकॉर्ड हमने कोर्ट के समक्ष रखा है.
सीबीआई के वकील ने कहा कि रेड्डी बेल्लारी जाने के लिए एक के बाद एक बहाना बनाकर अनुमति मांग रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘वह पहले अपनी बेटी की शादी के लिए बेल्लारी गए थे. इसके बाद वह अपने एक दोस्त की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए बेल्लारी जाना चाहते थे. वो मामले को प्रभावित कर रहे हैं.’
कोर्ट ने पाया कि मामले में आरोपों के तय होने में देरी को उचित नहीं ठहराया जा सकता है और यह विलंब का सामना करने के लिए अभियोजन पक्ष पर बोझ है.सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि मामले में लगभग 300 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया है, और रेड्डी मुख्य आरोपी हैं.
गौरतलब है कि रेड्डी ओबलापुरम माइनिंग कंपनी के एमडी हैं. उनकी कंपनी पर कर्नाटक के बेल्लारी और आंध्रप्रदेश के अनंतपुर में बड़े पैमाने पर अवैध खनन का आरोप है. रेड्डी करीब तीन वर्ष तक जेल में रहे थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दी थी.