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SC के रोस्‍टर पर सवाल उठाने वाली याचिका पर आज होगी सुनवाई

आजतक के साथ खास बातचीत करते हुए याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि संविधान में मास्टर ऑफ रोस्टर का मतलब मनमानी ऑफ रोस्टर कतई नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
रणविजय सिंह/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 4:44 AM IST

चीफ जस्टिस के मास्टर ऑफ रोस्टर पर सवाल उठाने वाली शांति भूषण की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस की भूमिका को कठघरे में रखने वाली इस याचिका पर जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच सुनवाई करेगी.

इस याचिका के बारे में आजतक के साथ खास बातचीत करते हुए याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि संविधान में मास्टर ऑफ रोस्टर का मतलब मनमानी ऑफ रोस्टर कतई नहीं है. हमारी याचिका भी रोस्टर की मास्टरशिप को स्पष्ट, पारदर्शी और नियमित करने के लिए है. लेकिन ये अनुभव सिस्टम से लड़ने जैसा था.

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पहले तो सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने हफ्तों हमारी याचिका सिर्फ इसलिए स्वीकार नहीं की क्योंकि इसमें CJI को पक्षकार बनाया गया था. अब जब CJI के अधिकार क्षेत्र को नियमित करने का मुद्दा हो तो पक्षकार बनाए बिना कैसे होगा. बड़ी मुश्किल से ये मसला हल हुआ तो ये समस्या आई कि आखिर चीफ जस्टिस के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाले इस मुकदमे को हम उन्हीं की पीठ में कैसे ले जाएं. कायदे से इसे चीफ जस्टिस को सुनना भी नहीं चाहिए.

ये सोचकर हम जस्टिस चेलमेश्वर की कोर्ट में गए और मामले की सुनवाई की गुहार लगाई. जस्टिस चेलामेश्वर ने मामले की सुनवाई से ये कहते हुए इनकार किया कि वो नहीं चाहते कि 24 घंटे के भीतर पहले की तरह उनका आदेश उलट दिया जाए. दो महीने बाद मैं रिटायर हो ही रहा हूं. प्रशांत भूषण से कहा कि जस्टिस चेलामेश्वर ने अपने बारे में की जा रही चर्चा का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि मेरे लिए कहा जा रहा है कि मैं किसी ऑफिस को हथियाने के लिए ये कर रहा हूं, लेकिन ये सच नहीं है. अगर किसी को चिंता नहीं है तो मैं भी ज्यादा चिंता नहीं करूंगा. देश के इतिहास को देखते हुए मैं जाहिर तौर पर इस मामले को नहीं सुनूंगा.

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इसके बाद प्रशांत भूषण ने इस मामले को चीफ जस्टिस की कोर्ट में मेंशन किया. चीफ जस्टिस ने बेंच में अपने साथी जस्टिस खानविलकर और जस्टिस चंद्रचूड़ से मशविरा किया. फिर चीफ जस्‍टिस ने कहा कि वो इस बारे में देखेंगे. शाम होते होते बेंच तय हो गई.

वैसे भूषण की इस याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में केसों का आवंटन चीफ जस्टिस अकेले नहीं बल्कि कॉलेजियम में शामिल सभी पांच जज करें. प्रशांत भूषण ने कहा कि इसी सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने चीफ जस्टिस की मनमानी के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस की थी. मसला पूरी तरह हल नहीं हुआ तो ये याचिका दायर करनी पड़ी.  

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के 4 सिटिंग जजों जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है, अगर ऐसा चलता रहा तो लोकतांत्रिक परिस्थिति ठीक नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर चीफ जस्टिस से बात की, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी.

इसके अलावा हाल ही जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा था कि अगर CJI दीपक मिश्रा के बाद अगर जस्टिस रंजन गोगोई को CJI नहीं बनाया जाता है तो हमने जो बात कही थी उसपर शक सही था. आपको बता दें कि जस्टिस चेलमेश्वर 22 जून को रिटायर हो रहे हैं तो वहीं दीपक मिश्रा अक्टूबर के महीने में रिटायर होंगे.

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