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एनआरसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मीडिया हमेशा गलत नहीं होता

एनआरसी मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें शामिल लोगों को अपना मामला रखने के लिए प्रक्रिया के तहत मौका दिया जाना चाहिए. साथ ही मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कहा कि मीडिया हमेशा गलत नहीं होता है. कभी-कभी वे सही होते हैं.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2019,
  • अपडेटेड 7:10 PM IST

कारगिल युद्ध लड़ने वाले सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशी घोषित करने का मामला ठंडा नहीं हुआ है कि असम में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एनआरसी कोर्ड‍िनेटर को असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरएसी) में नाम शामिल नहीं होने के मामले में चुनौती देने वाले लोगों को उचित मौका मुहैया कराने के लिए कहा है.

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चीफ जस्ट‍िस रंजन गोगोई ने कोर्ड‍िनेटर प्रतीक हजेला से कहा, है कि आपको 31 जुलाई की समयसीमा तक काम पूरा करना है, सिर्फ इस वजह से प्रक्रिया को जल्दबाजी में न करें. साथ ही कोर्ट ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट हैं कि कैसे दावे और आपत्तियों के साथ निपटा जा रहा है और मीडिया हमेशा गलत नहीं होता है. कभी-कभी वे सही होते हैं. कृपया यह तय करें कि प्रक्रिया में कोई कमी न रह जाए और यह सही तरीके से किया जाए.

अदालत ने कोर्ड‍िनेटर से एनआरसी से एक पूर्व सैनिक को स्पष्ट रूप से संभवत: बाहर रखने के बारे में पूछा और इसे एक परेशान करने वाली घटना करार दिया. अदालत ने हजेला को एक उचित प्रक्रिया से मामले पर फैसला लेने और एनआरसी प्रक्रिया में कोई शॉर्टकट नहीं अपनाने के लिए कहा.

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शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतिम असम एनआरसी मसौदा के प्रकाशन की समयसीमा 31 जुलाई में कोई बदलाव नहीं होगा और यह एनआरसी में अपना नाम शामिल कराने के लिए दावे करने वालों की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए.

बता दें कि भारतीय सेना में 30 साल तक सेवाएं दे चुके मोहम्मद सनाउल्लाह को विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण (फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल) ने विदेशी घोषित किया है. विदेशी घोषित होने के बाद सनाउल्लाह को परिवार सहित गोलपाड़ा के डिटेंशन कैंप भेजा गया है. सनाउल्लाह और उनके परिवार के सदस्यों के नाम राष्ट्रीय रजिस्टर पंजी (एनआरसी) में नहीं हैं.

ये भी पढ़ें- कारगिल युद्ध लड़ने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह घोषित हुए विदेशी

न्यायाधिकरण ने 23 मई को जारी आदेश में कहा कि सनाउल्लाह 25 मार्च, 1971 की तारीख से पहले भारत से अपने जुड़ाव का सबूत देने में असफल रहे हैं और वह इस बात का भी सबूत देने में असफल रहे कि वह जन्म से ही भारतीय नागरिक हैं.

इससे पहले मार्च में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एनआरसी के लिए असम में तैनात किए गए सुरक्षा बल को आम चुनाव के लिए वापस नहीं लिया जाएगा.

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