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चुनाव आयोग की सख्ती से SC संतुष्ट, CJI बोले- अभी आदेश की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मायावती के देवबंद में दिए भाषण पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने एक संप्रदाय विशेष से अपील की थी कि वोट बंटने न दें. बीजेपी ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी जिसके बाद चुनाव आयोग ने मायावती को नोटिस जारी किया. इसी तरह योगी के बजरंगबली वाले बयान पर भी आयोग ने नोटिस जारी किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद ही आयोग हरकत में आ गया.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 16 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 10:55 AM IST

2019 की जंग जीतने के लिए नेता मैदान में हैं. चुनाव इस तरह से प्रतिष्ठा का सवाल बन गए हैं कि नेताओं की जुबान फिसल रही है. इसकी शिकायतें भी चुनाव आयोग तक पहुंची. इस मामले में चुनाव आयोग कई नेताओं को नोटिस भी जारी कर चुका था. लेकिन सोमवार को यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर चुनाव आयोग एक्शन कब लेगा. इसके साथ ही यह भी कह दिया कि अगर वह चाहे तो चुनाव आयोग को आधे घंटे के अंदर कोर्ट में खड़ा सकता है लेकिन आयोग 24 घंटे के अंदर बताए कि उसने क्या कार्रवाई की.

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मंगलवार को चुनाव आयोग ने अपनी कार्रवाई के बारे में सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया. चुनाव आयोग के एक्शन से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट दिख रहा है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया है. इसलिए अभी आगे किसी तरह के आदेश की जरूरत नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मायावती के देवबंद में दिए भाषण पर आपत्ति जताई, जिसमें उन्होंने एक संप्रदाय विशेष से अपील की थी कि वोट बंटने न दें. बीजेपी ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी जिसके बाद चुनाव आयोग ने मायावती को नोटिस जारी किया. इसी तरह योगी के बजरंगबली वाले बयान पर भी आयोग ने नोटिस जारी किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद ही आयोग हरकत में आ गया.

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सबसे पहले सोमवार को योगी और मायावती पर प्रचार करने पर बैन लगा दिया. ये दोनों प्रतिबंध 16 अप्रैल से लागू होंगे. योगी 72 घंटे तक प्रचार नहीं कर सकेंगे. इसी तरह मायावती पर 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया. मायावती ने सोमवार देर रात बाकायदा लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चुनाव आयोग के फैसले का विरोध किया और कहा कि बिना उनका पक्ष जाने आयोग ने उन पर बैन लगाया, जो कि गलत है.

गौरतलब है कि आगरा में मंगलवार को गठबंधन की रैली हो रही है जिसमें बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और आरएलडी प्रमुख अजित सिंह शामिल होने वाले थे. लेकिन चुनाव आयोग के आदेश के बाद मायावती शायद ही रैली में शामिल हो पाएं.    

इसके बाद सोमवार की शाम को चुनाव आयोग ने रामपुर से पार्टी उम्मीदवार और सपा के स्टार प्रचारक आजम खान पर 72 घंटे के लिए चुनाव प्रचार करने पर बैन लगा दिया. बीजेपी उम्मीदवार जया प्रदा पर अभद्र टिप्पणी के लिए यह प्रतिबंध लगाया गया. मेनका गांधी पर भी 48 घंटे प्रचार करने पर रोक लगा दी गई. उन्होंने सुल्तानपुर में एक संप्रदाय विशेष के बारे में कहा था कि अगर वोट नहीं दोगे और काम कराने आओगे तो सोचना पड़ेगा.

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ऐसा माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद चुनाव आयोग ने एक्शन लिया है. 2014 के मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने 12 अप्रैल 2014 को अमित शाह और आजम खान पर शेष चुनाव प्रचार के लिए बैन लगा दिया था. अमित शाह ने माफी मांग ली तो उन्हें छूट मिल गई लेकिन आजम खान नहीं झुके तो प्रचार भी नहीं कर पाए.

हालांकि चुनाव आयोग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि यूपी के सीएम आदित्यनाथ और मायावती पर बैन का फैसला तो रविवार को ही ले लिया गया था. लेकिन आयोग ने इसका खुलासा सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोग को आधे घंटे में कोर्ट में खड़ा कर सकते हैं लेकिन जवाब देने के लिए 24 घंटे का समय दे रहे हैं. अब आयोग मगंलवार को सुप्रीम कोर्ट को बता सकता है कि उसने 4 नेताओं पर कार्रवाई की है.

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