
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और खाद्य मंत्रालय पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जीएम फूड के लिए रेगुलेटरी बॉडी बनाने के मामले में चार साल तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के बाद यह जुर्माना लगाया गया है.
जीएम फूड का विरोध करने वाली एक्टिविस्ट वंदना शिवा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र को 6 हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. हालांकि यह मामला यूपीए सरकार के शासनकाल का है. दरअसल, वंदना शिवा ने चार साल पहले याचिका दाखिल कर कहा था कि भारत में जीएम फूड बनाने के लिए या आयात के लिए कोई रेगुलेटरी बॉडी होनी चाहिए. तब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर मंत्रालयों से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.
चीफ जस्टिस की बेंच ने लगाया जुर्माना
उस वक्त यूपीए सरकार ने कहा था कि जीएम फूड के उत्पादन या आयात के नियंत्रण के लिए रेगुलेटरी बॉडी बनाएंगे. ऐसे में सरकार को नए प्रिवेंशन ऑफ फूड सेफ्टी एक्ट को नोटिफाई करना था और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी थी जो नहीं हुआ. सोमवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने फिर से चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की बेंच में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का वक्त मांगा. लेकिन CJI ने दोनों मंत्रालयों पर जुर्माना लगा दिया.