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देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट का खाप पंचायतों पर सख्ती जारी है और उसने केंद्र तथा याचिकाकर्ता को खाप पंचायतों से युगल को सुरक्षित रखने के लिए प्रभावकारी सुझाव देने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया कि अगर दो बालिग शादी करने का फैसला करते हैं, तो उसमें किसी को भी दखल देने का अधिकार नहीं है. इस दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं से ऐसे उपाय मांगे, जिससे इन विवाहित दंपतियों को सुरक्षा प्रदान की जा सके. साथ ही कोर्ट ने कहा कि उन्हें सुरक्षा देना पुलिस की जिम्मेदारी है.
जनवरी में शीर्ष अदालत ने खाप पंचायतों या इससे जुड़े संगठनों को किसी बालिग पुरुष और महिला के बीच अंतरजातीय शादी में किसी भी तरह के हस्तक्षेप को पूरी तरह से अवैध करार दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अगर एक बालिग पुरुष और महिला शादी करते हैं तो खाप, पंचायत, व्यक्तिगत स्तर या फिर किसी समाज को इस पर सवाल खड़ा करने का अधिकार नहीं है.
अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र कहा कि वह एमीकस क्यूरी (न्याय मित्र) राजू रामचंद्रन की सलाह पर अपना जवाब दे. एमीकस क्यूरी (न्याय मित्र) राजू रामचंद्रन ने परिवार के सम्मान, अंतरजातीय और समान गोत्र में शादी के खिलाफ युवा दंपति को परेशान करने या फिर हत्या रोके जाने की बात कही है.
सुप्रीम कोर्ट ने खाप की पैरवी करने वाले वकील से कहा, 'कोई शादी वैध है या अवैध, इसका फैसला बस अदालत ही कर सकती है. आप इससे दूर रहें.'
देश की शीर्ष अदालत ने खाप पंचायतों और अपनी मर्जी से प्रेम विवाह करने वालों पर होने वाले ऐसे हमले रोकने में नाकामी को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों को भी कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस संबंध में उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट मांगी.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि केंद्र अगर इन खाप पंचायतों पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो फिर कोर्ट कार्रवाई करेगा.