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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बुलंदशहर गैंगरेप मामले की सीबीआई जांच पर लगी रोक हटा ली है. सीबीआई ने अपनी अर्जी में कहा था कि इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए थे राज्य सरकार ने नहीं. सीबीआई ने कहा कि रोक नहीं हटी तो जांच प्रभावित हो सकती है. इससे सबूत जुटाने में मुश्किल होगी.
सीबीआई ने आगे कहा कि अगर 90 दिन में इस मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया तो सभी आरोपी जमानत के हकदार हो जाएंगे. सीबीआई ने बताया की इस मामले में अब तक 6 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं और अपराध की सभी कड़ियां जोड़ने के लिए जांच जारी रहना जरूरी है. मामले में अब अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी.
SC ने ही लगाई थी रोक
बता दें कि इस मामले में नाबालिग पीड़िता के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर भी रोक लगा दी थी. गैंगरेप के बाद आए उत्तर प्रदेश कैबिनेट मंत्री आजम खान के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणियां की थीं. जस्टिस दीपक मिश्रा और सी नगप्पन की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार और आजम खान को नोटिस जारी कर 3 हफ्ते में जवाब मांगा था. कोर्ट ने सीबीआई जांच पर भी रोक लगा दी थी. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से 4 सवालों के जवाब मांगे थे.
कोर्ट ने पूछे थे ये 4 बड़े सवाल
1. क्या कोई संवैधानिक पद पर बैठा शख्स इस तरह का बयान दे सकता है जिससे उसका कोई सरोकार नहीं है और जिससे पीड़िता का व्यवस्था पर भरोसा कम हो?
2. क्या 'राज्य' जो जनता का संरक्षक होता है, इस तरह के बयान देने की इजाजत दे सकता है, जिससे की निष्पक्ष जांच को लेकर संशय पैदा हो?
3. क्या इस तरह का बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अन्दर आता है?
4. क्या इस तरह के बयान को सीमा का उल्लंघन नहीं माना जाएगा?
कोर्ट ने वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन को अमाइकस क्युरी यानी कोर्ट मित्र भी नियुक्त कर दिया था. ताकि वह इस मामले में कोर्ट को अपनी सलाह दें. पीड़िता के पिता की तरफ से दाखिल याचिका में यह मांग की गई है कि यूपी में उन्हें न्याय नहीं मिल सकता इसलिए मामले का ट्रायल उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर किया जाए.
पीड़िता के पिता ने याचिका में यह मांग की:
1. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच हो.
2. पीड़ित नाबालिग लड़की की शिक्षा, सुरक्षा, पढ़ाई-लिखाई और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए.
3. गैर जिम्मेदाराना बयान देने के लिए आजम खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए.
4. लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई हो.