
नोटबंदी से ग्रामीण इलाकों के लोगों को हो रही परेशानियों का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने ग्रामीण लोगों को कोऑपरेटिव बैंकों पर निर्भर बताते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि इन्हें होने वाली परेशानियों और असुविधाओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
कोऑपरेटिव बैंकों की मांगों पर गौर करे सरकार
बता दें कि 8 नवंबर को नोटबंदी के फैसले के बाद कोऑपरेटिव बैंकों में बैंकिंग ऑपरेशन पर रोक लग गई थी. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने केंद्र सरकार से कोऑपरेटिव बैंकों की मांग पर गौर करने के लिए कहा जिससे कि ग्रामीण खाताधारकों की मुश्किलों को कम किया जा सके.
सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि सभी पक्षों को साथ बैठकर लिस्ट बनानी चाहिए कि कौन से मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट करें और कौन से मामलों को सुप्रीम कोर्ट सुने?
जाली नोट पहचानने की कोऑपरेटिव बैंकों के पास क्षमता नहीं: केंद्र
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पैरवी करते हुए कहा कि सरकार कोऑपरेटिव बैंकों की स्थिति से अवगत है जिनके पास शेड्यूल्ड बैंकों की तुलना में उचित बुनियादी और प्रकियागत ढांचे का अभाव है. रोहतगी ने ये भी कहा कि सरकार ने सोच समझ कर कोऑपरेटिव बैंकों को अलग रखा कि उनके पास जाली नोटों को पहचानने की विशेषज्ञता नहीं है.
पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था पंगु हुई : चिदंबरम
कोऑपरेटिव बैंकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने पैरवी की. उन्होंने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोऑपरेटिव बैंकों को शामिल नहीं करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था करीब करीब पंगु हो गई है. चिंदंबरम ने कहा कि देश भर में 371 कोऑपरेटिव बैंक है जिन्हें बैंकिग ऑपरेशन से बाहर रखा गया है.
एक याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुझाव दिया कि सभी पक्ष साथ बैठकर लिस्ट तैयार करें कि कौन से मामले हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए भेजे जाएं और कौन से मामले सुप्रीम कोर्ट के पास? इसके बाद बेंच ने अगली सुनवाई 5 दिसंबर के लिए निर्धारित कर दी.
खाताधारकों को वेतन देने में असमर्थ: कोऑपरेटिव बैंक
इससे पहले केरल और महाराष्ट्र के कोआपरेटिव बैंकों से दलील दी गई कि नोटबंदी के बाद उनको बैंकिग ऑपरेशन की इजाज़त ना होने की वजह से वो अपने खाताधारकों को वेतन दे पाने में असमर्थ हैं. इन कोऑपरेटिव बैंकों का कहना है कि 14 नवम्बर के बाद से उनको बैंकिंग ऑपरेशन से दूर रखा गया हैं. उनके पास इस को लेकर स्पष्टता नही हैं, जो पैसा उनके पास 8 नवम्बर से 14 नवम्बर के बीच जमा किया हैं, उसका क्या होगा.
कोऑपरेटिव बैंकों का तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि कोऑपरेटिव सोसाइटीज की शिकायत पर गौर करने की जरूरत हैं क्योंकि इससे आम आदमी परेशान हो रहा है.
वहीं, अटॉर्नी जनरल रोहतगी ने नोटबंदी को लेकर अदालतों में याचिकाओं की झड़ी लगने का मसला उठाया. रोहतगी ने कहा कि नोटिफिकेशन के बाद लगभग हर दिन कोर्ट में याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. अभी तक देश भर में करीब 70 याचिका दाखिल हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट में ही 15 याचिकाएं दाखिल हुई हैं. रोहतगी ने कहा कि हर कोर्ट एक तरह के मामले की सुनवाई नही कर सकता.
कोर्ट होंगी तो लोग ऐसे हालात में वहां आएंगे ही : चीफ जस्टिस
इस पर चीफ जस्टिस ठाकुर ने कहा कि अगर कोर्ट होंगी, तो ऐसे हालात में लोग वहां जाएंगे ही.
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को केंद्र सरकार की देश भर की हाइकोर्ट में लंबित सभी याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में या फिर किसी एक हाई कोर्ट में ट्रांसफर किए जाने पर सुनवाई करेगा. इसके अलावा कोऑपरेटिव बैंकों की बैंकिग ऑपरेशन चालू रखने की इजाजत देने की मांग और आरबीआई के नोटिफिकेशन की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को ही सुनवाई होगी.