
सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले पर 4 जनवरी को सुनवाई होगी. देश की शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर मंदिर निर्माण में हो रही देरी पर सवाल उठाया गया है और इसे जल्द निपटाने की गुहार लगाई गई है. अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राम मंदिर मुद्दे पर कब सुनवाई होगी, उसे अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर तय करेगा. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके अनुषंगी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया और संसद में अध्यादेश लाकर राम मंदिर बनाने की मांग उठाई.
इस मामले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एसके कौल की पीठ के सामने सूचीबद्ध किया गया है. पीठ के इस मामले में सुनवाई के लिए तीन जजों की पीठ का गठन करने की संभावना है. चार दीवानी वादों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपील दायर हुई हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बराबर बांटा जाए.
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह करने की अपील की और कहा कि जब सबरीमाला और समलैंगिकता के मामले में कोर्ट जल्द फैसला दे सकता है तो अयोध्या मामले पर क्यों नहीं. प्रसाद ने अ कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हैं कि रामजन्मभूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो ताकि इसका जल्द से जल्द फैसला आ सके. प्रसाद ने कहा कि हम बाबर की इबादत क्यों करें..... बाबर की इबादत नहीं होनी चाहिए. उन्होंने संविधान की कॉपी दिखाते हुए कहा कि इसमें राम चंद्र जी, कृष्ण जी और अकबर का भी जिक्र है लेकिन बाबर का नहीं. यदि हिंदुस्तान में इस तरह की बातें कर दो तो अलग तरह का बखेड़ा खड़ा कर दिया जाता है.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सोमवार को कहा कि बीजेपी यह मानती रही है कि बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मसले की सुनवाई हर दिन होनी चाहिए ताकि जल्द कोई फैसला आ जाए. देश के कई संगठनों की मांग है कि सरकार कोर्ट का इंतजार न करे और संसद में अध्यादेश लाकर मंदिर निर्माण कराए लेकिन सरकार इस कदम से पीछे हटती रही है क्योंकि उसके कई घटक दल इसके समर्थक नहीं हैं.
बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना इस मुद्दे पर काफी मुखर है और अध्यादेश के जरिये मंदिर निर्माण की वकालत करती रही है. सोमवार को उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के पंढरपुर में और पिछले महीने अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन शुरू किया. सोमवार को ठाकरे ने कहा कि सरकार चुनावी फायदे के लिए मंदिर का मुद्दा उठाती है लेकिन इस बार जनता उसे सबक सिखाएगी.
उधर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने सोमवार को कहा कि शिवसेना राम मंदिर के मुद्दे को उठा रही है क्योंकि उसे 2019 के लोकसभा चुनावों में हार दिख रही है. इससे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सोलापुर जिले के पंढरपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया था. चव्हाण ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टियां विकास एजेंडा लागू करने में नाकाम रही हैं, इसलिए शिवसेना मंदिर मुद्दे के सहारा ले रही है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों ने विकास के मोर्चे पर क्या किया है. दोनों दल चुनाव में अपनी आसन्न हार को साफ देख रहे हैं.’
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में त्वरित सुनवाई से इनकार किया था और कहा था कि जनवरी के पहले हफ्ते में सुनवाई शुरू हो सकती है लेकिन तारीख पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सोमवार को 4 जनवरी की तारीख तय कर दी गई.