
लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में संवेदनशील NRC मुद्दे पर सुनवाई है. सुप्रीम कोर्ट में रिटायर्ड एयरफोर्स सार्जेंट सादुल्लाह अहमद की याचिका पर सुनवाई होगी. सादुल्लाह अहमद और उनके दो बेटों का नाम 30 जुलाई को प्रकाशित NRC के ड्राफ्ट में शामिल नहीं था. उन्होंने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सादुल्लाह खान की याचिका में कहा गया है कि उनका नाम एनआरसी मे इसलिए नहीं है क्योंकि उनकी 'बहन' को विदेशी घोषित कर दिया गया था.
13 मार्च को चीफ जस्टिस की अगुवाई में इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि वो 26 मार्च को इस मामले से जुड़े सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेगा.
यहां यह जानना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट ने NRC प्रक्रिया का काम 31 जुलाई तक पूरा करने का आदेश दिया है. इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के चलते इस समय सीमा को बढ़ाने से इनकार कर दिया था. अदालत ने 10 अप्रैल तक एनआरसी पर स्टेट्स रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
क्या है एनआरसी
NRC यानी कि नेशनल रजिस्टर ऑफ पॉपुलेशन से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक हैं और कौन नहीं. असम में रह रहे जिन लोगों के नाम इस रजिस्टर में शामिल नहीं होगा, उन्हें अवैध नागरिक माना जाएगा. इस रजिस्टर में 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है. 30 जुलाई को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के दूसरे और अंतिम मसौदे को कड़ी सुरक्षा के बीच जारी किया गया था. इस ड्राफ्ट के मुताबिक 2 करोड़ 89 लाख लोग असम के नागरिक माने गए हैं जबकि यहां रह रहे 40 लाख लोगों का नाम इस सूची में नहीं है. ये 40 लोग जुलाई के बाद अपनी नागरिकता के समर्थन में दावे और दस्तावेज पेश कर रहे हैं.