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हर ट्वीट और शिकायत पर फौरन एक्शन लेती थीं सुषमा स्वराज

बीमारी से पहले सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय रहने वाली सुषमा स्वराज ने विदेश में बसे कई लोगों की मुश्किल भरी राह आसान की थी. विदेशों में फंसे कई लोगों की त्वरित मदद करने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कार्यकाल बेहद सफल रहा था (फाइल-ANI) बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कार्यकाल बेहद सफल रहा था (फाइल-ANI)
सुरेंद्र कुमार वर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 8:06 AM IST

प्रखर वक्ता और बेहतरीन राजनेताओं में शुमार की जाने वालीं सुषमा स्वराज अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने अपनी कार्यशैली से सभी को दीवाना बना रखा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में बतौर विदेश मंत्री उनका कार्यकाल बेहद सफल रहा और ट्विटर के जरिए विदेश में फंसे ढेरों भारतीयों की सुरक्षित स्वदेश वापसी के लिए विशेष प्रबंध कराने के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा.

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बीमारी से पहले सोशल मीडिया में लगातार सक्रिय रहने वाली सुषमा स्वराज ने विदेश में बसे कई लोगों की मुश्किल भरी राह आसान की थी. उन्होंने विदेश में फंसे बेशुमार लोगों की त्वरित मदद की जिनमें से कुछ की जानकारी आपको दी जा रही है.

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हनीमून खराब होने से बचाया

सुषमा स्वराज सोशल मीडिया खासकर ट्विटर पर आई शिकायत को त्वरित स्तर पर दूर करती थीं. अगस्त 2016 में उन्होंने एक ऐसे शख्स को उसकी नई नवेली पत्नी से मिलवाया जिनका हनीमून के लिए इटली रवाना होने से पहले ही पासपोर्ट खो गया. इस खबर से सुषमा ने दुनिया में खूब चर्चा बटोरी.

सुषमा की मदद की वजह से ही दिल्ली के फोटोग्राफर फैजान पटेल और उनकी पत्नी सना फातिमा के हनीमून प्लान पर कोई असर नहीं पड़ा और इटली से हनीमून मनाकर स्वदेश लौटने पर सुषमा का शुक्रिया भी अदा किया.

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पाकिस्तान से गीता की वापसी

26 अक्टूबर 2015 को सुषमा स्वराज के प्रयासों की वजह से ही मूक-बधिर लड़की गीता की एक दशक के बाद पाकिस्तान से स्वदेश वापसी हो सकी. इसके अगले ही दिन उसे इंदौर में मूक-बधिरों के लिए चलाई जा रही गैर सरकारी संस्था के आवासीय परिसर में भेज दिया गया. बाद में उसके परिजनों की तलाश भी की गई.

2016 में एक भारतीय महिला और अपनी 8 साल की बेटी के साथ मुसीबत में आ गई और उसे ससुराल वालों की वजह से जर्मनी के एक रिफ्यूजी कैंप में रहने को मजबूर होना पड़ा. महिला ने सुषमा स्वराज से मदद की अपील की, बाद में फरवरी में उनकी स्वदेश वापसी हुई.

बचाई हजारों मजदूरों की जान

2016 में ही उन्होंने सऊदी अरब में फंसे हजारों भारतीय कार्यकर्ताओं की सकुशल भारत वापसी का प्रबंध कराकर उनकी जान बचाई थी.

10 मई 2018 को फिलीपींस में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे एक कश्मीरी छात्र ने सुषमा स्वराज से नए पासपोर्ट के लिए मदद मांगी थी, लेकिन उसकी प्रोफाइल पर लोकेशन 'भारत अधिकृत कश्मीर (iok)' लिखा हुआ था, जिस पर सुषमा ने आपत्ति जताई, बाद में उसने लोकेशन सही कर दिया और फिर सुषमा ने मनीला स्थित भारतीय दूतावास से छात्र की मदद करने को कहा था.

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पाक मरीज को दिलाया वीजा

19 अक्टूबर 2017 दीवाली पर पाकिस्तान की सुमैरा हमद मलिक ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट कर मदद मांगी थी. सुमैरा अपने कैंसर पीड़ित भाई तैमूर उल हसन के इलाज के लिए वीजा दिलाने का अनुरोध किया था. 6 महीने के लंबे इंतजार के बाद जब वीजा नहीं मिला तो उन्होंने सुषमा को ट्वीट किया और इसके महज 24 घंटे के अंदर भारत आने का वीजा मिल गया.

2016 में 4 दिसंबर को मुंबई के डॉक्टर मुफ्फी लकड़वाला ने मिस्र की इमान अहमद की तस्वीर के साथ विदेश मंत्री सुषमा को ट्वीट के जरिए मदद मांगी. डॉक्टर ने बताया, इमान अहमद का वजन 500 किलोग्राम है और साधारण प्रक्रिया से उसे मेडिकल वीजा मना हो गया है. इसके जवाब में सुषमा ने कहा, 'मेरी नजर में यह मामला लाने के लिए शुक्रिया. मैं जरूर इनकी मदद करूंगी.' दो दिन बाद 6 दिसंबर को डॉ. लकड़वाला ने जानकारी दी कि काहिरा में भारतीय दूतावास ने उन्हें बताया कि इमान को मेडिकल वीजा मिल गया है.

सुषमा स्वराज ने खाड़ी देशों में फंसे ढेरों भारतीयों को कई दफा संकट से बाहर निकाला था. इसी तरह 10 अप्रैल 2018 को सऊदी अरब से देश लौटने वाली हैदराबाद की जसिंथा मेनडोनका ने खुलासा किया कि वह मानव तस्करी का शिकार हुई थी. महिला ने बताया कि उसे वहां नौकरानी के नाम पर गुलामों की तरह रखा गया और उसके साथ रोजाना अत्याचार भी किया गया. महिला के मुताबिक उसके पति ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मदद की गुहार लगाई थी, जिसके बाद उसकी स्वदेश वापसी हो सकी.

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इसके अलावा भी ढेरों ऐसे मामले हैं जिसमें सुषमा स्वराज ने बढ़चढ़कर लोगों की मदद की. यहां तक विदेश मंत्रालय छोड़ने के बाद भी उनके पास मदद के लिए कई ट्वीट्स आते थे, जिन पर आगे की कार्रवाई के लिए वह विभाग को आगे बढ़ा देती थीं.

संभाले कई मंत्रालय

इसके अलावा 1996 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के महज 13 दिन के कार्यकाल में सुषमा स्वराज को सूचना और प्रसारण मंत्रालय दिया गया और वह पहली बार कैबिनेट में शामिल हुईं. इसके बाद 1998 में सूचना एवं प्रसारण तथा दूरसंचार मंत्री (अतिरिक्त प्रभार) के रूप में कैबिनेट में जगह मिली. बाद में उन्होंने (30 सितंबर 2000 से 29 जनवरी 2003 तक) सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप काम किया. 1998 में अतिरिक्त प्रभार के रूप में दूरसंचार मंत्रालय भी दिया गया.

29 जनवरी 2003 से 22 मई 2004 के बीच परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्री के अलावा संसदीय कार्य मंत्री के रूप में काम किया.

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