
इस बार की विजयदशमी पर आरएसएस के स्वयंसेवक खाकी नेकर की जगह ब्राउन कलर की फुल पेंट दिखेंगे. 11 अक्टूबर को दशहरा के दिन सरसंघचालक मोहन भगवत की मौजूदगी में एक साथ लगभग 20 हजार स्वयंसेवक ब्राउन कलर की फुल पेंट में पहली बार नजर आएंगे.
आरएसएस के गणवेश में ये बदलाव 13 मार्च 2016 को नागौर की प्रतिनिधि सभा की बैठक में लिया गया था. तब आरएसएस महासचिव भैयाजी जोशी ने कहा थी जल्दी ही इसे गणवेश में शामिल कर लिया जाएगा.
आरएसएस ने नई गणवेश धारण करने के लिए विजयदशमी का दिन इस लिए चुना है कि आरएसएस की स्थापना विजयदशमी के दिन 1925 में हुई थी. आरएसएस विजयदशमी को विजय दिवस के रूप में हर साल मनाती है.
अब तक 3 बार किया गणवेश में बदलाव
1925 में जब संघ की स्थापना के समय खाकी कमीज, खाकी नेकर, चमड़े की बेल्ट, काले जूते और काली टोपी को ही गणवेश में शामिल किया गया था. संघ के गणवेश में इससे पहले भी 3 बदलाव हो चुके है और मोहन भागवत के संघ प्रमुख रहते हुए ये गणवेश में दूसरा बदलाव होने जा रहा है. गणवेश में बदलाव क साथ-साथ संघ अपनी इमेज भी बदलने की कोशिश करेगा.
हेडगेवार के समय हुआ पहला बदलाव
संघ ने पहली बार अपने गणवेश में बदलाव सन 1939 में किया था, तब संघ प्रमुख हेडगेवार थे, जिन्होंने संघ की स्थापना थी. तब संघ ने खाकी कमीज को बदलकर सफेद कमीज किया था. तब संघ का मानना था उनका गणवेश अंग्रेजी सेना की ड्रेस से हूबहू मिलता-जुलता था, इसको ध्यान में रखकर ही ये पहला बदलाव किया गया था.
जूतों और बेल्ट में भी किया गया बदलाव
संघ ने अपनी वेशभूषा में दूसरा बदलाव सन 1973 में किया गया था, उस वक्त संघ प्रमुख बाला साहब देवरस थे. तब गणवेश में सेना जूतों की तरह वजनदार जूतों का उपयोग किया जाता था. तब स्वयंसेवक ने वजनदार जूतों की जगह नॉर्मल काले जूते रखे थे. और गणवेश में तीसरा बदलाव 2010 ही किया गया था. इस बार चमड़े की बेल्ट की जगह कपड़े की बेल्ट को गणवेश में शामिल किया गया था. उसी वक्त मोहन भागवत ने प्रतिनिधि सभा में नेकर की जगह फुल पैंट करने के लिए प्रस्ताव रखा था. उस समय प्रतिनिधि सभा ने इस प्रस्ताव को ये कहते हुए टाल दिया था की इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके लिए 5 साल का समय तय किया था. और आखिरकार 13 मार्च को प्रतिनिधि सभा की बैठक में गणवेश में खाकी नेकर की जगह ब्राउन कलर की फुल पेंट को शामिल करने का फैसला सर्वसम्मति से ले लिया गया.