
ताज महल पर हक़ किसका? सरकार, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया या फिर सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड? मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर आया तो कोर्ट ने कहा देश में अब ये कौन विश्वास करेगा कि ताज़महल वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है? इस तरह के मामले यहां लाकर कोर्ट का वक़्त ज़ाया नहीं करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट का यह बयान ASI की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया है. याचिका में ASI ने 2005 के उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के फ़ैसले को चुनौती दी है, जिसमें बोर्ड ने ताजमहल को वक़्फ़ बोर्ड के संपत्ति घोषित कर दिया था.
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थी. आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है.
बोर्ड की ओर से कहा गया कि सुन्नियों के पक्ष में मुगल बादशाह शाहजहां ने ही ताज महल का वक्फनामा तैयार करवाया था. इस पर बेंच ने तुरंत कहा कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें. बोर्ड के आग्रह पर कोर्ट ने एक हफ्ते की मोहलत दे दी.
दरअसल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आदेश जारी कर ताज महल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था. एएसआई ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. इस पर कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था.
मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति घोषित करने की मांग की थी. लेकिन हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता से कहा कि वो वक़्फ़ बोर्ड जाएं.
मोहम्मद इरफान बेदार ने 1998 में वक़्फ़ बोर्ड के समक्ष याचिका दाखिल कर ताज़महल को बोर्ड की सम्पति घोषित करने की मांग की. बोर्ड ने ASI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. ASI ने अपने जवाब में इसका विरोध किया और कहा कि ताजमहल उनकी सम्पत्ति है. लेकिन बोर्ड ने ASI की दलीलों को दरकिनार करते हुए ताज़महल को बोर्ड की सम्पति घोषित कर दी थी.
अब अगले हफ्ते देखना दिलचस्प होगा कि सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड शाहजहां के दस्तखत वाला फरमान पेश करता है या नहीं!